रुड़की में पत्रकारिता के एक स्तंभ थे एसएस सैनी: नारसन
रुड़की/संवाददातायह बात 16 सितंबर सन 2018 की है। उस दिन बड़े सवेरे सवा चार बजे मोबाइल की घण्टी बजी तो सोचा अलार्म बजा है। सुबह की मीठी नींद से उठकर मन भर्मित सा हो गया कि अलार्म तो चार चालीस का लगाया था फिर यह सवा चार बजे कैसे बज गया। यह सोच ही रहा […]
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