*एकेडमियों को नहीं वोटिंग का अधिकार।
बद्रीविशाल ब्यूरो
हरिद्वार। जिला क्रिकेट एसोसिएशन के तत्वाधान में आयोजित जिला लीग व ट्रायल मैचों के आयोजन से लेकर खिलाड़ियों के चयन तक की प्रक्रिया में जिला एसोसिएशन के पदाधिकारियों का ही अहम रोल रहता है। यही पदाधिकारी कंट्रोल रूम में बैठकर पूरी लीग को मैनेज करते है। हालांकि कई बार बेहतर खिलाड़ियों की अनदेखी के आरोप एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर लगते आए है और ऐसे में ये आरोप तब और भी गंभीर हो जाते है जब यही पदाधिकारी वर्षों से एसोसिएशन पर काबिज हो। खासकर हरिद्वार जिला क्रिकेट एसोसिएशन में ये देखा व सुना गया है।
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि हरिद्वार जिला क्रिकेट एसोसिएशन के वर्षों से चुनाव नहीं कराए गए और एक ही वर्किंग बॉडी कई वर्षों से काम कर रही है। जिसमें इंद्रमोहन बर्थवाल सचिव है। यही वजह है कि जिला क्रिकेट में उनका दबदबा है और एसोसिएशन में उनका काफी हद तक हस्तक्षेप भी रहता है।
खिलाड़ियो के चयन में मनमानियों के आरोप
इंटर डिस्ट्रिक्ट के लिए खिलाड़ियों के चयन में जिला एसोसिएशन पर कई बार बेहतर खिलाड़ियों की अनदेखी के आरोप भी लगे। जबकि खिलाड़ियों के चयन में चयन समिति होती है,लेकिन सूत्र बताते है कि ये चयन समिति भी इन्हीं के दबाव में काम करती है। मैदान में अंपायर से लेकर चयन समिति तक सभी को अपने हिसाब से मैनेज करने वाली जिला एसोसिएशन की पूरी कार्यशैली सचिव इंद्रमोहन बर्थवाल के इर्दगिर्द ही घूमती नजर आती है।
एसोसिएशन पर भेदभाव के आरोप
खिलाड़ियों को लेकर जिला क्रिकेट एसोसिएशन पर भेदभाव के आरोप तो खुद जिले की एकेडमी संचालकों ने भी लगाए है। पिछली अंडर 19 लीग के बाद इंटर डिस्ट्रिक्ट मैचों के दौरान देखा गया कि जिले की ही एक एकेडमी केएलसीए के संचालक ने जिला एसोसिएशन के सचिव महोदय इंद्रमोहन बर्थवाल पर गंभीर आरोप लगाए थे। जिसमे उन्होंने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि इन्होंने अपने रिश्तेदारों के नाम पर एकेडमी (जिमखाना क्लब) बनाई हुई है और उसी को ही सपोर्ट करते है। इसके अलावा चयन में पारदर्शिता व मैचों की वीडियोग्राफी कराने की मांग भी की थी।
वर्षों से नहीं हुए चुनाव
हरिद्वार जिला क्रिकेट एसोसिएशन में वर्षों से चुनाव नहीं कराए गए जिसके चलते एक ही लॉबी का वर्चस्व बना हुआ है। अपने आरोपों में केएलसीए एकड़मी के संचालक ने भी कहा था कि वर्षों से हरिद्वार जिला क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव नहीं कराए गए। जिसके लिए उन्होंने सीएयू को भी अवगत कराया। वैसे दबी जुबान से तो हर क्रिकेट एकेडमी चुनाव कह रही है कि चुनाव कराने चाहिए और उन्हें एसोसिएशन का सदस्य बनाया जाए। अगर ऐसा होता है तभी पारदर्शिता भी आएगी वरना किसी एक लॉबी के चलते उनकी मनमानियां कायम रहेगी।
एकेडमियों को मिले वोट का अधिकार
बड़ी हैरानी की बात है कि जिन खिलाड़ियों को नर्सरी (एकेडमी) तैयार करती है वहीं जिला क्रिकेट एसोसिएशन में सदस्य के रूप में भी नहीं है। यही वजह है कि एकेडमियों की परेशानियों अथवा उनके समस्याओं को नहीं सुना जाता और ना ही उनके किसी अच्छे सुझाव पर गौर किया जाता है। जिसके चलते भेदभाव का शिकार हुई एकेडमियों की एसोसिएशन में कोई सुनवाई नहीं होती। अब अगर उनको वोटिंग राईट होता तो एसोसिएशन एकेडमी की समस्या को सुनती और उसका निस्तारण भी करती।
मीडिया से दूरी बनाती एसोसियेशन
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया से भी जिला क्रिकेट एसोसिएशन दूरी बनाने की कोशिश करती है। क्योंकि जिस तरह खिलाड़ियों से भेदभाव,मनमानियों आदि के आरोप वर्तमान जिला क्रिकेट एसोसिएशन पर लगते आए है, उनसे बचने के लिए एसोसिएशन मीडिया से दूरी बनाना ही बेहतर समझती है। यही नहीं इसके अलावा यदि कोई मीडियाकर्मी लीग अथवा चयन प्रक्रिया पर बारीकी से नजर रखे तो खासतौर पर उनसे ये नजर चुराते नजर आते है। जिससे उनके ऊपर लगाए आरोपों को बल मिलता है।