बद्रीविशाल ब्यूरो
हरिद्वार। समाजसेवी एवं वरिष्ठ पत्रकार संजय खटाना ने पेयजल निगम हरिद्वार के अधिशासी अभियंता पर पद का दुरूपयोग सहित कई गम्भीर आरोप लगाए। बताया गया कि अधिशासी अभियन्ता राजेश गुप्ता ने अपनी मनमर्जी से एक मद से दुसरे मदो के कार्यों का भुगतान करने तथा हैड पम्प कार्य हेतु 70 प्रतिशत कम दरो पर छूटे टेण्डरो को निरस्त कर वर्क आर्डर के द्वारा कार्यों को कराया गया। जबकि जल निगम में बिना उच्च अधिकारीयो की संस्तुति के अधिशासी अभियन्ता अपने स्तर पर कार्य नही करा सकते।
पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा सवाल हैं कि उनके इस कारनामे की शिकायत करें तो किस से करे। आरोप हैं कि उत्तराखण्ड पेयजल निगम के मुख्य अभियन्ता संजय सिंह द्वारा खुद बडे पैमाने पर अपनी पसन्दीदा कम्पनीयो को कार्य आंवटित किए गए है। कहा कि पीआईयू (अमृत), उत्तराखण्ड पेयजल निगम रूडकी के अधिशासी अभियन्ता पद से स्थान्तरण हो जाने के बावजूद संजय सिह द्वारा 70 लाख रूपये का भुगतान कर दिया गया। जबकि जांच के बावजूद उन्हें दण्डित नही किया गया।
इसी तरह के एक प्रकरण में रामनगर के अधिशासी अभियन्ता को निलम्बित कर दिया गया था। हैरत की बात है कि एक ही विभाग में एक जैसे कृत्य करने पर अलग-अलग नियमों को लेकर विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों समेत आम लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। आरोप हैं कि मुख्य अभियन्ता संजय सिह ने जल जीवन मिशन में बतौर अधीक्षण अभियन्ता पौडी रहते हुये 70 प्रतिशत पेयजल योजना जनपद पौडी में तथा शत प्रतिशत पेयजल योजना जनपद रूद्रप्रयाग एवं गोपेश्वर में मै० यूनीप्रो टैक्नो इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा० लि० को आंवटित कर दी थी।
संजय खटाना ने बताया कि उक्त कम्पनी को देहरादून जनपद में मात्र एक या दो कार्य और कुमाऊ मण्डल में एक भी कार्य आंवटित नही हुआ। हैरत की बात यह है उक्त कम्पनी को काली सूची में डालने की संस्तुतिं मुख्य अभियन्ता गंढवाल, अधिशासी अभियन्ता गोपेश्वर व अन्य अधिकारीयो द्वारा प्रबन्ध निदेशक जल निगम को की जा चुकी थी। जिसकी लिखित शिकायत एक पत्रकार द्वारा विजिलेन्स को उक्त टेण्डर के अनुबन्ध से पूर्व में ही लिखित में कर दी गयी थी। उक्त कार्य को लेकर विभागीय स्तर पर मुख्य अभियन्ता कुमाऊ की अध्यक्षता में गठित समिति ने जांच में पाया था कि मै० यूनीप्रो टैक्नो इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा० लि० तथा मै० कश्मीरीलाल कन्सट्रक्शन प्रा० लि० दोनों फर्मों द्वारा निविदा की सुसंगत धाराओ का अनुपालन नहीं किया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह का भ्रष्ट्राचार जनपद हरिद्वार में जल जीवन मिशन के तहत किये गये कार्य बडे पैमाने पर है। अधिकांश ठेकेदारो के अनुभव प्रमाण पत्र, खनन रायल्टी बिल, धरोहर राशि, जैसे प्रमाण पत्र फर्जी होने के बावजूद पत्रावलीयो की बिना जांच किये कार्यों के अनुबन्ध कर दिये गये। अधिकांश गांव और कस्बों की सडको कों पानी की लाइन डालने के लिये खोद दिया गया है। उनकी मरम्मत के नाम पर लिपापोती ही जारी है। जिसको लेकर क्षेत्रिय नागरिक परेशान है।
वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि अब ऐसे में आम नागरिकों की समस्या यह है कि वह इस तरह के मामलों की शिकायत कहा और किससे करे, जबकि मुख्य अभियन्ता ही अयोग्य फर्मों को नियम विरूद्ध कार्य देगे और प्रबन्ध निदेशक शिकायतो का संज्ञान लेने के बजाये चुपी साध लेगे। इससे डबल इजन की सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है।