शरीर-मन का पूर्ण रूपांतरण निरंतर योग से है संभवः स्वामी रामदेव

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पतंजलि विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित भव्य योग सप्ताह का समापन छठे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम के साथ संम्पन्न हुआ। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगऋषि स्वामी रामदेव एवं यशस्वी कुलपति आचार्य बालकृष्ण के सान्निध्य में लाखों करोड़ों योग साधकों ने विभिन्न चौनलों व फेसबुक लाइव से जुड़कर इस महापर्व को हर्ष के साथ मनाया। छठे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पतंजलि योगपीठ फेस 2 के सभागार में रविवार को सुबह पांच बजे योग कार्यक्रम का शुभारंभ ओंकार मंत्रोच्चार से हुआ। इस दौरान योगगुरु बाबा रामदेव ने योग के जरिये निरोग रहने के तरीकों को बताया।
योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि योग सभी धर्म, संप्रदाय से ऊपर है। इसे सभी मत, धर्म जाति, संप्रदाय के लोगों को जीवन में आत्मसात करना चाहिए। बताया कि योग इम्युनिटी बढ़ाता है। घर पर रहकर परिवार संग योग विषय को ध्यान में रख, सामाजिक दूरी एवं स्वास्थ्य संबंधी निर्देशों का पालन करते हुए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा निर्धारित योग प्रोटोकॉल के साथ साथ देशवासियों ने स्वामी रामदेव के निर्देशन में योग तथा भारतीय व्यायाम का भी अभ्यास किया। सकारात्मकता तथा धैर्य का संदेश देते हुए उन्होंने स्वदेशी व स्वाभिमान का भी मंत्र दिया। इसके साथ ही उन्होंने अपने उद्बोधन से योग प्रेमियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि निरंतर योग के अभ्यास से शरीर-मन का रूपांतरण संभव है।
इस महापर्व पर संबोधित करते हुए आयुर्वेद मनीषी आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि योग, आयुर्वेद की विधा मानव मात्र के कल्याण के लिए निर्मित एक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है, यह सम्प्रदाय, जाति आदि के भेदभाव से परे है। स्वदेशी से स्वाबलंबन की अवधारणा को समझाते हुए उन्होंने कहा कि स्वामी रामदेव के नेतृत्व में पतंजलि योग व आयुर्वेद के क्षेत्र में निरंतर नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। आचार्य प्रद्युम्न महाराज भी इस मौके पर मौजूद रहे।
इस अवसर पर विवि के प्रति कुलपति डॉ महावीर अग्रवाल, भारत स्वाभिमान के केंद्रीय प्रभारी डॉ जयदीप, राकेश, विवि की कुलानुशासिका साध्वी डॉ देवप्रिया, सहायक कुलानुशासक एवं आयोजन सचिव स्वामी परमार्थदेव, डॉ पुनिया आदि मौजूद रहे।

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