कोरोना जैसी महामारी प्रकृति या ईश्वर का प्रकोपः हरिगिरि

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कोरोना वायरस के खात्मे को विशेष यज्ञ, पूजन जारी
हरिद्वार।
श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना से मुक्ति पाने के लिए अपने सभी प्रमुख आश्रमों व सिद्वपीठों पर विशेष यज्ञ व पूजन कराये जा रहे हैं। हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी मायादेवी शक्ति पीठ पर अखाड़े के अर्न्तराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरि गिरि महाराज तथा अर्न्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज के सानिध्य में विशिष्ट यज्ञ लगातार चल रहा है। इस विशेष आध्यात्मिक यज्ञ का उददे्श्य भारत सहित पूरे विश्व में शांति और समृद्वि बनाए रखना है।
श्रीमहंत हरिगिरि ने बताया कि जूना अखाड़े के अन्य सिद्व पीठों जिसमें प्रयागराज स्थित मौज गिरि मन्दिर, जूनागढ़ स्थित भवनाथ मन्दिर, उज्जैन स्थित नीलगंगा व नासिक स्थित दत्तशक्ति पीठ पर भी यज्ञ व पूजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कोरोना जैसी महामारी प्रकृति या ईश्वर का प्रकोप है और यह संयोग या ईश्वर का न्याय कह सकते हैं कि गत 400वर्षों से प्रत्येक शताब्दी में इसका प्रकोप होता रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि 1720 में पूरे विश्व में फ्लैग फेला था, जिसमें एक लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो गयी थी। इस फ्लैग को ग्रेट फ्लैश ऑफ मार्सली कहा गया था, क्योंकि यह फ्रांस के मार्सली शहर से फैला था। उन्होने बताया इसी प्रकार 1820 में एशियाई देशों जिनमें सिंगापुर, मलेशिया, वर्मा, थाईलैंड, भारत भी शामिल थे, में हैजा फेल गया था, जिससे संक्रमित होकर दो लाख से अधिक लोग काल कलवित हो गये थे। लेकिन विश्व की सबसे खतरनाक महामारी सन 1920 में फैली थी। स्पेनिश फ्लू के नाम से फैली इस बीमारी ने पूरे विश्व में करोड़ों लोगों को संक्रमित कर दिया था, जिसमें आठ से दस करोड़ लोगों की मौत हो गयी थी।
श्रीमहंत हरिगिरि ने बताया 1918 में दूसरे विश्व युद्व की समाप्ति के बाद इस का प्रकोप शुरू हुआ था,जो कि 1920में अपने चरम पर पहुंच गया था। इसकी चपेट में आकर भारत की 6 प्रतिशत आबादी जो कि लगभग एक करोड़ 80 लाख थी, मौत की गोद में सो गयी थी। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से संक्रमित रोगी भी आज के कोरोना की भांति खंासी, छाती की जकड़न व तेज बुखार से ग्रसित होकर कुछ ही घण्टों में दम तोड़ देता था। अब वर्तमान में 2020 में पुनः एक बार फिर चीन के बुहान से आया कोरोना वायरस कहर बरपा रहा है। इस वायरस के चलते करोड़ों लोगों के मरने की संभावना जतायी जा रही है। उन्होंने कहा भारत एक अध्यात्म, आस्था प्रधान देश है, जिसकी ईश्वर में गूढ़ आस्था है। हमारी सनातन परम्परा में भी दैविक, भौतिक व दैहिक आपदाओं के लिए यज्ञ हवन व देवोपासना की समृद्ध परम्परा है। इसलिए जूना अखाडे के तपस्वी साधु सन्तों द्वारा हवन, पूजा अर्चना की जा रही है। कहा कि उन्हे पूर्ण विश्वास हे कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति पूरे विश्व को इस संकट से उबार लेगी।

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