कुंभ के आयोजन को आगे बढ़ाने का संतो ने रखा प्रस्ताव

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हरिद्वार। परमादर्श महामण्डलेश्वर परिषद के स्वामी महेश्वरानंद पुरी ने कोरोना के बढ़ते प्रकोप और उसके कारण उत्पन्न हुई परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए आगामी कुंभ मेले को 2021 की बजाय 2022 में आयोजित करने की बात कही है।
परिषद की बैठक में पारित प्रस्ताव में स्वामी महेश्वरानंद पुरी महाराज ने कहाकि कोरोना को लेकर जो हालात समूचे विश्व में बने हुए हैं उसको देखते हुए हरिद्वार में कुंभ मेला आयोजित करना संभव नहीं है। प्रस्ताव में कहा गया कि वर्तमान में भारत में कुछ निहित स्वार्थी वर्गों ने ज्योतिष विद्या को भी वर्ग विभाजन का माध्यम बना लिया है। जिस कारण सभी पर्व दो बार मनाये जाने लगे हैं। जो की सनातन संस्कृति का अवमूल्यन ही है।
उन्होंने कहाकि वर्ष 1956 में स्वमी करपात्री महाराज के नेतृत्व में ज्योतिष की कुछ गणनाओं के आधार पर 1956 में उज्जैन कुंभ मनाए जाने की घोषणा की। जबकि काशीस्थ संन्यासी संस्कृत कालेज के मंत्री स्वामी धर्मानन्द के नेतृत्व में सभी अखाड़ों सहित तमाम साधुओं ने 1957 में कुंभ के आयोजन को मान्यता दी। लम्बे वाद संघर्ष के कारण तत्कालीन प्रशासन को दोनों वर्ष कुंभ का आयोजन करना पड़ा। 1956 का कुंभ असफल रहा। इसके साथ ही बारह वर्ष के कुंभ सिद्धान्त को मान्यता मिली। ऐसा इसलिए की इस बार हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुंभ पर्व 12 वर्ष की बजाय 11 वें वर्ष में आयोजित हो रहा है। सूर्य की गति के अनुसार प्रत्येक आठवां कुंभ पर्व 12 वर्ष की बजाय 11वें वर्ष में आयोजित होता है। इस बार भी ऐसा ही है। प्रस्ताव में कहा गया कि चूंकि वर्तमान में कोरोना महामारी का संकट समूचे विश्व में व्याप्त है और भारत में भी यह विकराल रूप लेता जा रहा है। ऐसे में कोरोना के कारण कुंभ की सभी तैयारियों को रोक दिया गया था। कहा गया कि जिस प्रकार का देश में वातावरण चल रहा है उसको देखते हुए वर्ष 2021 में कुंभ पर्व का आयोजन किया जाना संभव नहीं है। उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकार के साथ अखाड़ों से इस पर मंथन कर कुंभ पर्व को 2021 की बजाय 2022 में मनाए जाने की अपील की है। स्वामी महेशवरानंद पुरी महाराज ने कहाकि यदि ऐसा होता है तो वर्ष 2022 में कुंभ के लिए सभी व्यवस्थाएं सही प्रकार से की जा सकती हैं और कुंभ को भव्य व दिव्य रूप दिया जा सकता है।

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