भीमगोड़ा की पहाड़ी पर मिला दुर्लभ प्रजाति का नागफनी का पौधा

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हरिद्वार। हरिद्वार में श्री भीमगोडा तीर्थ के महाबली भीम के मन्दिर के दस फिट ऊपर नागफनी यानि कैक्टस के दुर्लभ पौधे पाये गये है। इन पौधों को पर्यावरणविद रविन्द्र मिश्रा ने खोजा है। मिश्रा की सूचना पर राजाजी राष्ट्रीय पार्क में संज्ञान लेते हुए वन अनुसंधान संस्थान को पत्र भेजा है।
रविंद्र मिश्रा ने बताया कि यहां इन पौधौं को उन्होंने कई वर्ष पहले देखा था तभी से वे इन पौधों की मोनिटरिंग कर रहे थे। उन्होंने बताया कि नागफनी का मूल रूप से जन्म मेक्सिको में हुआ था। इसकी 127 प्रजाति एवमं 1775 उप वंश पाये जाते हैं। आम तौर पर इस पौधे की उम्र 100 से 500वर्ष तक हो सकती है। यह पौधा बंजर रेतीली भूमि उबड़ खाबड़ कम पानी वाली भूमि पर पनपने में सक्षम होता है। मेक्सिको में यह पौधा 500 से 1500 वर्षों तक की उम्र का भी पाया जाता है। इसमें पक्षी अपना घरोंदा बना कर भी रहते हैं। लेकिन यहां जो नागफनी का पौधा पाया गया है वह अत्यन्त पुराना है और यहां चट्टान पर तीन पौधे जो ब्रोकली गोभी के फूल के आकर के हैं, जो यह प्रमाणित करते हैं की यह इलाका कभी बिना पानी का बंजर पथरीला था। भीम और द्रौपदी की प्यास लगने वाली कथा को भी प्रमाणित करता है। यह पौधा आकाशीय बिजली गिरने को भी रोकने का कार्य करता है। इसमें तांबे की मात्रा अधिक पाई जाती है। मिश्रा ने पौधे के संरक्षण करने को लेकर उत्तराखंड के मुख्य वन सरक्षक सहित राजा जी पार्क के निदेशक को अवगत करवाया है। जिनके आदेश पर 8 नवम्बर को राजा जी पार्क के अधिकारियों ने यहां पहुंचकर इसकी रिपोर्टिंग की। अब इस पौधे की जन्म कुंडली वन अनुसंधान संस्थान खंगालेगा।

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