*गिरोह बनाकर करते थे शिकार।
बद्रीविशाल ब्यूरो
हरिद्वार। जमीन में इन्वेस्टमेंट कर लाखों के मुनाफे का सपना दिखाकर लाखों की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए हरिद्वार पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड रहे एक भगवाधारी को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि आरोपी के ड्राइवर सहित तीन अन्य को पुलिस सरगर्मी से तलाश रही हैं।
पुलिस के मुताबिक दिनाँक 09.06.2024 को सोनीपत हरियाणा निवासी सतबीर सिह पुत्र राम चन्द्र ने सिविल लाइन कोतवाली रुड़की में महाराज दिनेशानन्द, अजयराज, नूरहसन और जोगेन्द्र के खिलाफ प्रोपर्टी का एग्रीमेण्ट करने के बाद रजिस्ट्री करने से मुकरने व रकम वापिस मांगने पर जान से मारने की धमकी देकर बयाना राशि 09 लाख रूपये को हडपने के आरोप मे मुकदमा दर्ज कराया गया था।
मामले की विस्तृत जांच के लिए एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने एसपी देहात से वार्ता कर एक प्लान तैयार किया। जिस पर गहन जांच व कड़ा होमवर्क करने के बाद पुलिस ने मामले के मास्टरमाइंड रहे स्वामी दिनेशानन्द को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पूछताछ में पुलिस को पता चला कि पकड़ा गया आरोपी एक गिरोह बनाकर बाहरी राज्य हरियाणा से लोगों को उत्तराखंड में जमीन दिलाने व उन्हें मोटे मुनाफे का लालच देकर जमीन में इन्वेस्टमेंट के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार बनाता था। आरोपी स्वामी दिनेशानन्द भारती निवासी शंकरमठ आश्रम टोडा कल्याणपुर, रूडकी के इस गिरोह में उसका ड्राईवर अजयराज व दो अन्य लोग जोगेन्द्र निवासी सोनीपत हरियाणा व नूरहसन पुत्र महबूब निवासी ग्राम गाधारोना कोतवाली मंगलौर हरिद्वार शामिल है। इनकी भी पुलिस तलाश में जुटी है।
ये था गिरोह का ठगी का अंदाज
गिरोह का सदस्य जोगेन्द्र बाहरी प्रान्त से अपने शिकार को खोजता था और सस्ते दाम पर प्रॉपर्टी खरीदने के लिए पार्टी को उत्तराखण्ड लेकर आता था। पार्टी को भरोसा दिलाया जाता था कि महाराज दिनेशानन्द प्रॉपर्टी खरीदकर उसमें अस्पताल बनाना चाहते हैं लेकिन जो जमीन पसंद की गई है उसका मालिक महाराज को जमीन बेचने से इन्कार कर रहा है। अगर वो जमीन सस्ते दामों में खरीद ली जाए तो बहुत अच्छे मुनाफे के साथ स्वामी दिनेशानंद को बेची जा सकती है।
पार्टी को खरीदने के लिए गिरोह के अन्य सदस्य नूर हसन की जमीन की दिखाई जाती। फिर मुख्य आरोपी का ड्राइवर अजयराज पार्टी को अपने मालिक से मिलवाता था जिसमें पार्टी का भरोसा जीतने के लिए स्वामी प्रोपर्टी खरीदने के लिए पार्टी को पहले ही 2 लाख रूपये टोकनमनी के रूप मे दे देते थे जिससे पार्टी को विश्वास हो जाता था कि सच मे स्वामी जी उस प्रोपर्टी को खरीद लेगें और उसे 40-50 लाख रूपये का मुनाफा हो जायेगा। गिरोह के जाल मे फंसकर पार्टी प्रोपर्टी का एग्रीमेण्ट कर ऊँची धनराशि गिरोह के सदस्यों (जमीन के फर्जी विक्रेता) को बतौर बयाना दे देते थे लेकिन उस जमीन का बेनामा नही किया जाता था।
रकम वापिसी पर मिलती थी धमकी
गिरोह की ठगी का शिकार हुए सोनीपत हरियाणा निवासी सतबीर के साथ भी कुछ इसी तरह हुआ। जब पीड़ित ने रजिस्ट्री ना होने पर ब्याने की रकम 09 लाख रूपये वापस मांगी तो उसे जान से मारने की धमकी मिली।