इस बार पासा पलटने के मूड में सतपाल ब्रह्मचारी

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मदन कौशिक के सामने 2022 में होगी कड़ी चुनौती
अपनों और विपक्षियों से एक साथ करना होगा मुकाबला
हरिद्वार।
उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव 2022 में होने हैं। किन्तु तीर्थनगरी हरिद्वार में अभी से चुनावी बिगुल बज चुका है। कांग्रेस नेताआंे ने अभी से चुनावी रणनीति बनानी आरम्भ कर दी है। जिस कारण इस बार चुनावों में वर्तमान विधायक व शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के लिए कड़ी चुनौती कांगे्रस प्रत्याशी बन सकते हैं।


चार बार से लगातार हरिद्वार सीट से विधायक रहे शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के लिए इस बार मुकाबला कठिन होने की संभावना बनती जा रही है। जिस प्रकार से पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने अभी से आक्रामक चुनावी मोर्चा संभाल लिया है उसको देखते हुए उम्मीद जतायी जा रही है कि वे मदन कौशिक के सामने एक बार फिर से 2022 में चुनावी मैदान में सामने होंगे। अपने इरादों को सतपाल ब्रह्मचारी ने शहर में कई स्थानों पर अपने कैंप कार्यालय खोलकर जाहिर कर दिए हैं। वहीं विगत छह माह से अधिक से शहर की हो रही दुर्गति के कारण भी लोगों में स्थानीय विधायक के खिलाफ गुस्सा है। वहीं कोरोना काल में स्थानीय भाजपा द्वारा लोगों की कोई खासी मदद नहीं की गई। लोगों को कहना है कि भाजपा नेताओं ने लाॅकडाउन के दौरान जो भी राहत सामग्री बांटी वह सब एक संत से लेकर भाजपाईयों ने अपना लेबल लगाकर बांटी। इसमें भी राहत सामग्री अपने चेहेतों को दी। वहीं हरिद्वार ग्रामीण से भाजपा के विधायक स्वमी यतीश्वरानंद और मंत्री मदन कौशिक के बीच गुरुकुल महाविद्यालय को लेकर चली आ रही रार किसी से छिपी नहीं हैं। कोरोना से पूर्व स्वामी यतीश्वरानंद ने रैली के माध्यम से आर्य समाज के लोगों की भीड़ इकट्ठा कर ये एहसास करा दिया कि वे भी किसी से कम नहीं हैं। मदन कौशिक और केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के बीच का विवाद भी सर्व विदित है। ऐसे में चुनाव में जहां स्वामी यतीश्वरानंद मदन कौशिक के विपरीत कार्य करेंगे वहीं मंत्री सतपाल महाराज भी अपनी ओर से पूरी कोशिश करेंगे की वह अपना बदला लेें। उधर भाजपाईयों को एक और खेमा मदन कौशिक की राह में रोडा साबित होगा। उधर कोरोना काल में राहत सामग्री बांटे जाने में हुए भेदभाव का बदला लेने के लिए भी जनता तैयार है। उधर कोरोना काल में जनता के साथ हर समय खड़े रहकर व इस दौरान करीब साढ़े तीन लाख लोगों को भोजन करवाकर तथा प्रतिदिन राहत सामग्री बांटकर सतपाल ब्रह्मचारी ने जनता के दिलों में अपनी जगह बनाने का प्रयास किया। इस कार्य में काफी हद तक वे सफल भी रहे। मेयर और भाजपा के बीच चले रहे विवाद से भी जनता परिचित है। जनता वर्तमान में निगम में चल रही नूरा कुश्ती को ठीक वैसा ही मान रही है जैसा की पूर्व पालिकाध्यक्ष कमल जौरा के समय में पालिका में चला था। इन सबका आंकलन किया जाए तो पूर्वपालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी इस बार मंत्री मदन कौशिक के सामने कड़ी चुनौती बनने वाले है। यदि चुनावी रणनीति में भाजपा से कुछ चूक हो जाती है तो 20 वर्षों से हरिद्वार सीट पर चली आ रही भाजपा की चैधराहट धराशायी हो सकती है। अब समय बताएगा की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है।

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