उत्तराखण्ड अपडेट
गणेश वैद (बद्रीविशाल ब्यूरो)
हत्या के मामले में 25 वर्षों से फरार 2 लाख के इनामी को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। हत्या के मामले में आरोपी जमानत निरस्त के बाद से ही जेल जाने से बचने के लिए पुलिस को चकमा देता आ रहा था।
पुलिस मुख्यालय देहरादून में आईजी लॉ एंड ऑर्डर नीलेश आनंद भरणे ने जानकारी देते हुए बताया कि 2 लाख का ईनामी हत्यारोपी सुरेश शर्मा पुत्र दयाराम शर्मा मूल निवासी बद्रीश आश्रय, नियर अंकुर गैस एजेंसी, लिसा डिपो रोड, आशुतोष नगर ऋषिकेश का वर्ष 1988 से क्वालिटी नाम से तीर्थनगरी बद्रीनाथ में एक रेस्टोरेन्ट था। बताया गया कि वर्ष 1999 में तत्कालीन डीजीसी, क्रिमनल बालकृष्ण भट्ट,जो उस वक्त चमोली में तैनात थे जिनका सुरेश शर्मा से उक्त रेस्टोरेन्ट की भूमि को लेकर विवाद था। जिसके चलते सुरेश ने बालकृण भट्ट की दिनदहाडे सरेआम चाकु से गोदकर हत्या कर दी थी। घटना के बाद सुरेश शर्मा गिरफ्तार हुआ लेकिन कुछ समय बाद ही उसे जमानत मिल गई थी। लेकिन इसी बीच सुरेश शर्मा की जमानत उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई। जिसके बाद उसका जेल जाना तय हो गया था। लेकिन वह गिरफ्तारी से बचने के लिए ऐसा फरार हुआ कि 25 साल तक वह पुलिस के हाथ नहीं लगा।
आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने कई आधुनिक तकनीकों का सहारा लेते हुए मुखबिर की मदद से एक संदिग्ध (जिसका हुलिया व पहचान हत्यारोपी से मेल खाती थी) को झारखंड से दबोचा। जिसके पास से मिले दस्तावेजों में उसकी पहचान मनोज जोशी पुत्र रामप्रसाद जोशी निवासी 24 परगना, पश्चिम बंगाल के रूप में हुई,लेकिन जब गहनता से पुलिस टीम ने जांच की तो पता चला कि यह मनोज जोशी ही सुरेश शर्मा है।
नाम व पहचान सब बदल लिया
गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी सुरेश ठिकानों के साथ साथ हुलिया व अपनी पहचान भी बदलता रहा। पुलिस को जानकारी देते हुए उसने बताया कि वह जेल से छूटने के बाद अपने रिश्तेदारों के यहां मुंबई चला गया। कुछ दिन वहां रहने के पश्चात मुझे पता चला कि मेरी जमानत खारिज हो गई,तो वह घर वापस न जाकर कोलकाता चला गया। जहां उसने सड़क किनारे ठेली लगाई फिर लॉकडाउन के बाद से एक मेटल ट्रेडिंग कंपनी का काम पकड़ लिया था। आरोपी ने पहचान छिपाने के लिये अपना नाम मनीश शर्मा और फिर मनोज जोशी के नाम से अपने दस्तावेज बना लिये। आरोपी की पत्नी व दो बच्चे भी हैं।