पेशवाई में आकर्षण का केन्द्र रहा किन्नर अखाड़ा
हरिद्वार। अखाड़ों में सबसे बड़े जूना अखाड़े की पेशवाई आज ज्वालापुर के पंडा वाला क्षेत्र से निकली। पेशवाई निकलने से पूर्व सुबह से ही पाडेवाला क्षेत्र में साधु-संतों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया। पेशवाई का उत्साह इतना था कि साधु-संतों के दर्शन और उनकी एक झलक पाने के लिए पूरा शहर ज्वालापुर में उमड़ आया। हाथी, घोड़े और ऊंट के साथ-साथ दर्जनों बैंड बाजों के साथ पेशवाई निकली। इसके साथ ही अग्नि अखाड़ा भी पेशवाई में शामिल रहा।
जूना अखाड़ा की पेशवाई में सबसे पहले जूना अखाड़े के गुरु और भगवान का प्रतीक चिन्ह व भगवान दत्तात्रेय का सिंहासन आगे-आगे चला। उसके बाद जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी की पालकी चली। उसके बाद नागा संन्यासियों का जत्था और बाद में अखाड़े के महामंडलेश्वरों ने पेशवाई की शोभा बढ़ायी।
जूना अखाड़ा की पेशवाई में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र इस बार किन्नर अखाड़ा रहा। लगभग 400 किन्नरों के साथ किन्नर अखाड़े ने जूना अखाड़े की पेशवाई के साथ छावनी में प्रवेश किया। दिल्ली, मुंबई, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग राज्यों से आए किन्नर समाज के संत जूना अखाड़ा की पेशवाई में पूरी शान और शौकत के साथ निकले।
पेशवाई स्थल पर सुबह से ही किन्नर समाज के संत पहुंचना शुरू हो गए थे। सोलह श्रृंगार के साथ अलग-अलग परिधानों में किन्नर समाज के संत पूरे पेशवाई में अलग ही दिखाई दिए। पेशवाई के संतों के करतबों ने भी सबकों आश्चर्यचकित कर दिया। बड़ी संख्या में नागा साधु पेशवाई में शामिल हुए।
पेशवाई में हाथी, ऊंट,घोड़ों के साथ सांस्कृतिक कलाकरों द्वारा दी गयी प्रस्तुतियों व देश प्रेम से ओतप्रोत झांकियां आकर्षण का केन्द्र रहीं। पेशवाई साधु-संतों के दर्शनों के लिए आज भी शहर की सड़कों पर हुजुम उमड़ पड़ा। सड़कों पर लोगों ने संतों के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया। पेशवाई को जगह-जगह शहर के लोगों, सामाजिक संगठनों व राजनैतिक दल से जुड़े लोगों ने पुष्पवर्षा कर अभिनन्दन किया। इसके साथ ही हेलिकाॅप्टर के द्वारा भी पेशवाई पर पुष्पवर्षा की गयी। मेला प्रशासन की ओर से पेशवाई मार्ग पर सुरक्षा के कड़े बदोबस्त किए गए थे। बड़ी संख्या में पुलिस के साथ बीएसएफ के जवान भी तैनात किए गए थे।
जूना अखाड़े की पेशवाई ज्वालापुर के पांडे वाला से होते हुए ऊंचा पुल, आर्य नगर चैक, शंकर आश्रम, रानीपुर मोड और देवपुरा होते हुए बिरला घाट स्थित जूना अखाड़ा की छावनी में प्रवेश किया।