केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को साहित्य के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए वातायन लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया है। इसके साथ ही उनकी उपलब्धियों की फेहरिस्त और लंबी हो गई है। 61 वर्षीय डॉ. पोखरियाल को यह सम्मान लंदन के वातायन-ब्रिटेन संगठन की ओर से आयोजित वर्चुअल समारोह के दौरान दिया गया, जिसका आयोजन ब्रिटिश इंस्टीट्यूशन ग्रुप ने किया था। उन्हें यह पुरस्कार केंद्रीय हिंदी परिषद आगरा के उपाध्यक्ष एवं जानेमाने कवि अनिल शर्मा ने दिया। डॉ. पोखरियाल ने यह पुरस्कार भारत के नागरिकों को समर्पित किया।
वातायन अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार कवियों, लेखकों और कलाकारों को संबंधित क्षेत्रों में उनके विशिष्ट कार्यों के लिए दिया जाता है। पूर्व में जावेद अख्तर और प्रसून जोशी जैसे कई प्रतिष्ठित हस्तियों को यह सम्मान दिया जा चुका है।
शिक्षा, संस्कृति व साहित्य में गहरी रूचि रखने वाले डॉ रमेश पोखरियाल श्निशंकश् ना केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ ह।ैं बल्कि एक समर्थ लेखक भी हैं। सक्रीय राजनीति में रहते हुए भी उन्होंने लेखन का काम जारी रखा और 75 से ज्यादा पुस्तकें लिखी। ये पुस्तकें भारत सहित पूरी दुनिया में 10 से अधिक भाषाओँ में प्रकाशित हुई हैं। इन 75 किताबों में काव्य संग्रह एवं कथा संग्रह शामिल है और उनमें से बहुत सी रचनाओं का अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु, मराठी, जर्मन, फ्रेंच, आदि कई भाषाओँ में अनुवाद हो चुका है।
डॉ निशंक द्वारा रचित पहला काव्य संग्रह समर्पण 1983 में प्रकाशित हुआ था, जिसका लोकार्पण पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने किया था।
डॉ पोखरियाल की पुस्तकों का अनावरण पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सहित, पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जैसे सम्मानित राजनीतिज्ञों ने भी किया है एवं उनकी रचनाओं को सराहा है।
डॉ निशंक देश के पहले ऐसे शिक्षा मंत्री है जिनकी 25 से ज्यादा रचनाओं पर शोध चल रहा है और छात्र पीएचडी और डी लिट् के थीसिस तैयार कर रहे हैं। निशंक जी पर 7 शोध और 7 लघु शोध हो चुके हैं जबकि 10 शोध और दो डी. लीट चल रहे हैं।
डॉ. निशंक की उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता को देखते हुए 2000 में जब पहली बार उत्तराखण्ड की अलग सरकार बनी तब एक बार फिर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई। उन्हें वित्त, ग्राम विकास, चिकित्सा सहित 12 विभागों का कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इसके बाद निशंक जी मार्च 2007 से लेकर जून 2009 तक उत्तराखण्ड सरकार में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, आयुष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के कैबिनेट मंत्री रहे।
शिक्षा मंत्रालय जैसा अहम मंत्रालय संभालने वाले श्री निशंक पहले ऐसे शिक्षा मंत्री हैं जिन्हें न सिर्फ अपने देश में बल्कि विदेशों में भी सम्मान मिला है। जहां एक ओर मंत्री निशंक को भूटान, यूगांडा, नेपाल और मॉरिशस के प्रधानमंत्रियों द्वारा सम्मान मिला है। वहीँ उनकी साहित्यिक कला को यूएई, दक्षिण अफ्रीका, बेल्जियम, यूक्रेन, इंडोनेशिया, जापान और थाईलैंड में सम्मानित किया जा चुका है।
देश के महत्वपूर्ण मंत्रालयों में से एक की कमान संभालने एवं देश-विदेशों से सम्मानित होने के बावजूद भी माननीय डॉ. निशंक मृदुभाषी होने के साथ साथ बहुत ही सरल व्यक्तित्व के धनी हैं और इतने सालों की कड़ी मेहनत के बावजूद आज भी स्वयं को देश सेवा के लिए तत्पर रखते हैं।