हरिद्वार। मुस्लिम फंड के करोड़ों रुपये के गबन के मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी अब्दुल रज्जाक समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
जिला मुख्यालय रोशनाबाद में मामले का खुलासा करते हुए एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार ने बताया कि मुस्लिम फंड मे ंजमा राशि को अब्दुल रज्जाक व उसके साथ प्रापर्टी की खरीद फरोख्त कर उससे निजी लाभ अर्जित कर रहे थे। बताया कि वर्ष 2013 से मुस्लिम फंड में जमा कराई गई रकम को अपने साथियों के नसीम ऊर्फ मुन्ना पुत्र जिन्दे हसन निवासी ग्राम सराय, ज्वालापुर व मशरूर पुत्र इरशाद अजी निवासी ग्राम सराय ज्वालापुर के सहयोग से प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त मे ंअच्छी कमाई की। इसी दौरान अब्दुल रज्जाक को अपने दोनों साथियों पर विश्वास हो गया। साथ ही नसीम ऊर्फ मुन्ना व मशरूर को भी अब्द ल रज्जाक के पास मुस्लिम फंड में अच्छी राशि जमा होने की बात पता लग गई, जिस कारण से वह हमेशा मोटी रकम कमाने के लिए लालायित रहता था। पुलिस ने मामले के खुलासे के लिए 06 टीमों का गठन किया था। बताया कि मुस्लिम फण्ड वर्ष 1998 से संचालित किया जा रहा था जिसे वर्ष 2020 में कबीर म्युचल बैनिफिट लि. के रुप में कार्पोरेट मंत्रालय से मान्यता प्राप्त कराया गया।
तथाकथित बैंक में 13382 एक्टिव खाते पाये गये, जिनमें 8716 खातों में 500 रुपये से कम धनराशि नहीं पाई गई। खाताधारकों की कुल करीब 7.5 करोड धनराशि बैंक में जमा पाई गई।
जिसमें से करीब 1.5 करोड की धनराशि अभियुक्त अब्दुल रज्जाक के द्वारा लोगों का सोना गिरवी रखकर उन्हें 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर दे हुई थी। विवेचना के दौरान अभियुक्त अब्दुल रज्जाक उसके परिवार व उसके संदिग्ध सहयोगियों के 23 बैंक खाते फ्रीज किये जा चुके हैं।
मुख्य आरोपित अब्दुल रज्जाक को हरिद्वार से गिरफ्तार किए जाने के बाद उसने पूछताछ में बताया कि वह वर्ष 2013 से मुस्लिम फण्ड में जमा कराये गयी रकम को अपने साथियों नसीम उर्फ मुन्ना पुत्र जिन्दे हसन, मशरूर पुत्र इरसाद अली ज्वालापुर के आसपास प्रोपर्टी की खरीद फरोख्त कर खासा लाभ अर्जित कर रहा था। इस दौरान अब्दुल रज्जाक को अपने साथियों पर विश्वास हो गया साथ ही नसीम उर्फ मुन्ना व मशरूर को भी अब्दुल रज्जाक के पास मुस्लिम फण्ड में अच्छी खासी धनराशि जमा होने की बात पता लग गयी, जिससे वह हमेशा मोटी रकम कमाने के लिए लालायित रहता था।
वर्ष 2020 में मशरूर व नसीम उर्फ मुन्ना के द्वारा अब्दुल रज्जाक को बताया कि उनकी पहचान सम्भल निवासी अन्सार नाम के व्यक्ति से है, जिसका साथी साजिद मुम्बई में रहता है। साजिद का कोई जानने वाला लन्दन में रहता है जो अपने 100 करोड के काले धन को किसी पंजीकृत संस्था को दान देकर सफेद कराना चाहता है। बताया कि संस्था में उक्त धनराशि आने के बाद 80 करोड उसे वापस करने होंगे व 20 करोड हमें मिल जायेंगे, जिससे लगभग 8-10 करोड़ का स्कूल आदि खोलकर कुछ सामाजिक कार्य कर लेंगे बाकि 8-10 करोड आपस में बांट लेंगे। अब्दुल रज्जाक की आँखो पर लालच की पट्टी बंधी थी।
मशरूर व नसीम उर्फ मुन्ना ने अब्दुल रज्जाक की मुलाकात सम्भल में अन्सार से व दिल्ली के रेडीसन होटल में साजिद से करवायी। इस दौरान साजिद से मिलाने के लिए मशरूर व नसीम उर्फ मुन्ना अब्दुल रज्जाक को लेकर मुम्बई व चेन्नई भी गये। साजिद द्वारा धनराशि दिलवाने के एवज में अब्दुल रज्जाक से अलग-अलग किस्तों में 3.5 करोड साजिद के खातों में व नगद के रुप में दे दिये थे। इस धनराशि को देने के लिए अब्दुल रज्जाक ने मुस्लिम फण्ड के 04 करोड में खरीदे गये फ्लाट को 02 करोड में बेच दिया व शेष 1.5 करोड की धनराशि मुस्लिम फण्ड के खाते से ली। एसपी सिटी ने बताया कि कुछ दिन बाद साजिद का मोबाइल नम्बर बन्द आने लगा तो मशरूर व नसीम उर्फ मुन्ना व अन्सार उसे लगातार उसका पैसा न डूबने का भरोसा दिलाते रहे व पैसा न मिलने पर अन्सार के द्वारा लोनी गाजियाबाद में 25 बीघा भूमि का एग्रिमेन्ट उसके नाम करने का आश्वासन देते रहे।
इस घटना के 06 महीने बाद मशरूर व नसीम उर्फ मुन्ना ने अब्बास नाम के व्यक्ति को अब्दुल रज्जाक से मिलवाते हुए कहा कि अब्बास के पास पुरानी करेंसी के 1000 करोड के नोट हैं।
जिसे वह नई करेंसी में बदलना चाहता है यदि कोई आदमी नई करेंसी में बदल ले तो अब्बास उसे अच्छा खासा कमीशन देने के लिये तैयार है। इस दौरान देहरादून में अब्दुल रज्जाक को दुबारा अब्बास से मिलवाया गया।
अब्दुल रज्जाक को शीघ्र ही अब्बास पर विश्वास हो गया इस दौरान वह नये नोटों को एक्सचेंज करवाने वाले की खोज में लगा था कि एक दिन अचानक उसके पास सुरेश नाम के अज्ञात व्यक्ति का फोन आया। उसे पता चला है कि रज्जाक को पुरानी करेंसी के नोटों की जानकारी है सुरेश ने कहा कि उसे सरकार के द्वारा बन्द करेंसी के 10 हजार करोड के नोटों को 40 प्रतिशत नई करेंसी में बदलने का टेण्डर प्राप्त है। वह उससे मिलकर बात करना चाहता है। सुरेश व अब्दुल रज्जाक की आपस में बात चीत हुई इस दौरान मशरूर व नसीम उर्फ मुन्ना भी उसके साथ थे। बताया कि अब्बास ने अपना ट्रस्ट लखनऊ में होना बताया था। तीनों अब्दुल रज्जाक, मशरूरर व नसीम उर्प मुन्ना, अब्बास के पुराने करेंसी के नोटों को प्राप्त करने के लिए लखनऊ गये परन्तु किसी कारणवश वहां डील नहीं हो सकी। इसके पश्चात अब्बास ने अब्दुल रज्जाक को एक दिन देहरादून बुलवाया और उसकी मुलाकात सन्नी, चौहान व शाहआलम नाम के व्यक्तियों से करायी और कहा कि शाहआलम के पास भी 01 हजार करोड की पुरानी करेंसी है। परन्तु यह अपनी पुरानी करेंसी तभी दिखायेंगे जब आप हमें 10 करोड की नई करेंसी दिखाकर विश्वास दिलाओगे।
इस दौरान सन्नी व चौहान ने अब्दुल रज्जाक के साथ नई करेंसी के 10 करोड एडवांस में देने की बात की हामी भरी व सन्नी ने स्वयं 05 करोड देने का आश्वासन दिया व 05 करोड का इन्तजाम करने को अब्दुल रज्जाक को कहा। अब्दुल रज्जाक ने तीन करोड में संगम वैडिंग पैलेस की अपनी साझेदारी बेची व 02 करोड सन्नी ने उसे अपने साथी चौहान से दिलवाये जिसके बाबत अब्दुल रज्जाक ने चौहान को 02 करोड के चैक दिये। अब्दुल रज्जाक को बताया गया कि शाहआलम के द्वारा दिये गये 01 हजार करोड के नोट वे सुरेश के पास ले गये थे। लेकिन सुरेश ने उन रुपयों को गले कटे होने के कारण लेने से मना कर दिया।
इधर नसीम उर्फ मुन्ना व मशरूर से जब अन्सार से 3.5 करोड वापस दिलवाने के लिये कहा तो नसीम उर्फ मुन्ना व मशरूर, अब्दुल रज्जाक को 18 जनवरी को गाजियाबाद लोनी स्थित एक जगह पर ले गये। जहां अन्सार ने अपने आदमियों को भी भेजा था व एक जमीन दिखाकर अब्दुल रज्जाक से कहा गया कि यह 25 बीघा जमीन अन्सार ने 4.5 करोड देकर अपने नाम एग्रीमेन्ट करा रखी है। इसके बाद 20 जनवरी को अब्दुल रज्जाक लोगों की देनदारी के चक्कर में घर से फरार हो गया।
पुलिस टीम द्वारा अब्दुल रज्जाक के बयानों के आधार पर नसीम उर्फ मुन्ना व मशरूर को भी गिरफ्तार कर लिया गया। जिनसे पूछताछ के आधार पर अन्य अभियुक्तों को भी चिन्हित कर लिया गया है, जिनके गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।