स्वछता के निगम के दावे हकीकत से कोसों दूर
हरिद्वार। हरिद्वार नगर निगम प्रशासन भले की तीर्थनगरी को स्वच्छ रखने के लाख दावे करे, किन्तु सत्यता इससे कोसों दूर है। जगह-जगह सडक़ों पर लगे गंदगी के अंबार निगम प्रशासन के दावों को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं।
विगत वर्षों में शहर की सफाई व्यवस्था को ध्वस्त बताने वाले मेयर पति व मेयर प्रतिनिधि भी खामोश हैं। ऐसे में हरिद्वार नगर निगम को स्वच्छता में स्थान मिलना हैरान करने वाला है। हरिद्वार विश्व प्रसिद्ध तीर्थनगरी हैं, जहां लाखों-करोड़ों लोग प्रतिवर्ष यहां आते हैं। हरिद्वार का नाम आते ही लोगों के जहन में इसकी नाम के अनुरूप छवि आखों के सामने आने लगती है, किन्तु सत्यता का पता यहां आने पर ही लगता है। चारों ओर गंदगी के ढ़ेर स्वच्छता अभियान के दावों की पोल खोल रहे हैं।
शहर को स्वच्छ बनाने के लिए घर-घर कूड़ा एकत्र करने का अभियान भी चलाया जा रहा है, किन्तु यह कितना सार्थक है। सडक़ों पर पड़ी गंदगी इस अभियान की सार्थकता को खुद बयां कर रही है।
गली-मोहल्लों में कूड़े के ढ़ेर होना आम बात है किन्तु कूड़े के ढ़ेर उस स्थान पर हों जहां आए दिन वीवीआईपी का आगमन होता होख् जहां इन डोर व आउट डोर दो स्टेडियम हों, वहां गंदगी का पसरा रहना किसी आश्चर्य से कम नही। हम बात कर रहे हैं भल्ला कालेज स्टेडियम की, जहां इन और आउट डोर स्टेडियम के बीच में हर समय कूड़े का ढ़ेर लगा रहता है, जो निगम प्रशासन के स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाता है। मजेदार बात यह कि निगम के स्वच्छता ब्रांड एम्बेस्डर जिस स्थान पर कूड़ा पड़ा है वहां से कई बार गुजरते हैं। बावजूद इसके गंदगी का अंबार लगा होना प्रशासन के दावों पर प्रश्नचिह्न खड़े करता है।
इस संबंध में जब मेयर अनीता शर्मा से बात करने की कोशिश की तो उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।