दैनिक बद्री विशाल
रुड़की/संवाददाता
लण्ढौरा व आस-पास के क्षेत्र में गन्ना कोल्हू शुरू होने से क्षेत्रीय लोगों को बीमारी फैलने का खतरा मंडराने लगा हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक यह गन्ना कोल्हू संचालित रहेंगे, आस-पास के इलाके में प्रदूषण से गम्भीर बीमारियां उत्पन्न होगी और क्षेत्रके लोग बीमारियों से ग्रसित होना शुरू हो जायेंगे। उन्होंने डीएम को पत्र लिखकर इन गन्ना कोल्हूओं पर कार्रवाई किये जाने की मांग की।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लक्सर-रुड़की रोड व आस-पास की जगहों पर कई गन्ना कोल्हू पेराई का काम कर रहे हैं। लेकिन इन कोल्हूओं से सबसे बड़ी परेशानी स्थानीय लोगों को प्रदूषण के फैलने से होती हैं। इन गन्ना कोल्हूओं में खुलेआम प्लास्टिक, पॉलिथीन व अन्य प्रतिबंधित चीजें जलाई जाती हैं, लेकिन पर्यावरण और मनुष्य के जीवन की चिंता किये बिना ही यह कोल्हू संचालक ठेकेदार अपनी मनमानी पर उतारू रहते हैं और बार-बार मना करने पर भी वह नहीं मानते। इस सम्बन्ध में स्थानीय लोगों ने पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रुड़की कार्यालय पर भी क्षेत्रीय अधिकारी से शिकायती की लेकिन उनकी इस समस्या का आज तक भी कोई समाधान नहीं हो पाया। ग्रामीणों ने थक-हारकर डीएम को शिकायती पत्र भेजकर इन गन्ना कोल्हूओं पर कार्रवाई करने की मांग की। एक बड़ी चिंता का विषय यह भी है कि आखिरकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी इन गन्ना कोल्हूओं पर इतने मेहरबान क्यांे हैं? लोगों के बार-बार शिकायत करने पर भी इन गन्ना कोल्हूओं के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो पाती, न ही उन्हें ऐसा करने से रोके जाने का प्रयास किया जाता। सूत्रों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ऐसे अनेक मामले हैं, जिनमें अधिकारी लापरवाही बरतते नजर आ रहे हैं और कार्रवाई के नाम पर वह मात्र औपचारिकता ही निभाते आ रहे हैं जबकि राहगीरों का भी आरोप है कि जब वह इस क्षेत्र से गुजरते हैं, तो उनके कपड़ों पर भी एक परत जम जाती हैं और उन्हें सांस लेने में भी भारी परेशानी होती हैं। कहने को तो पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए सरकार की ओर से इकाईयों का गठन किया हुआ हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर कार्य ठीक इसके उलट हो रहा हैं, इन ईकाईयों पर तैनात अधिकारी कार्य कम और मुनाफा ज्यादा कमाने लगे हैं। यही कारण है कि इण्डस्ट्रीयल एरिये और गन्ना कोल्हू क्षेत्रों के आस-पास का जीवन बेहद ही कठिनाईयों से भरा हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी इन सब परेशानियों को नजरअंदाज करते हुए उद्योग स्वामियों व कोल्हू ठेकेदारों से सांठगांठ कर बैठ जाते हैं और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता कर अपनी कार्रवाई की इतिश्री कर लेते हैं। इस सम्बन्ध में जानकारी लेने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी दूरभाष पर उपलब्ध नहीं हो सके।