दैनिक बद्री विशाल
रुड़की/संवाददाता
रुड़की, लक्सर व हरिद्वार सहित उत्तराखण्ड राज्य की सीमा में पड़ने वाले उत्तर रेलवे के सभी रेलवे स्टेशनों के नाम व साईन बोर्ड अब उर्दू की बताये संस्कृत भाषा में लिखे जायेंगे। रेल मंत्रालय की नार्दन रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य प्रदीप त्यागी ने बताया कि रेल नियमावली के अनुसार रेलवे स्टेशन के नाम तीन भाषाओं हिन्दी, अंग्रेजी एवं सम्बन्धी राज्य की राजभाषा में लिखे जाते हैं। अलग राज्य बनने के बाद अभी तक उत्तराखण्ड राज्य के रेलवे स्टेशनों के नाम भी अविभाजित उत्तर प्रदेश की राजकीय भाषा उर्दू में लिखे जा रहे थे। जबकि वर्ष 2010 में तत्कालीन सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की सरकार ने देवभाषा संस्कृत को राज्य की दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा दे दिया था। मगर रेलवे प्रशासन ने दस साल बीत जाने के बाद भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। प्रदीप त्यागी ने बताया कि अगस्त 2019 में नई दिल्ली में आयोजित बोर्ड की बैठक में धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण देवभूमि उत्तराखण्ड में देवभाषा संस्कृत की इस उपेक्षा का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। उन्होंने पीयूष गोयल रेल मंत्री से भी संस्कृत भाषा में नाम लिखवाने का अनुरोध किया था। अब रेलवे अधिकारियों ने इस बिंदू पर कार्य शुरू कर दिया है। अतिशीघ्र राज्य के सभी रेलवे स्टेशनों के नाम संस्कृत भाषा में होंगे, जिससे यात्रियों को यहां देवत्व का अहसास होगा। उन्होंने इस सम्मान के लिए तमाम उत्तराखण्डवासियों की ओर से रेलमंत्री पीयूष गोयल व रेलवे अधिकारियों का आभार व्यक्त किया।