गणेश वैद की खास रिपोर्ट
हरिद्वार लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से ही मदन कौशिक गुट एकाएक सक्रिय हो उठा। जबकि पूर्व सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के खेमे में काफी हद तक मायूसी छाई हुई है। हालांकि त्रिवेंद्र रावत के नामांकन से लेकर एक आध प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल रहे डॉ निशंक ज्यादातर मौकों पर नदारद ही दिखे। चुनावी प्रचार से इस तरह निशंक का दूरी बनाना ये दर्शाता है कि कहीं ना कहीं पार्टी शीर्ष कमान की और से उनकी अनदेखी की टीस निशंक को काफी खल रही है,थी वजह है कि निशंक खेमा केवल ऊपरी तौर पर तो त्रिवेंद्र के साथ खड़ा होने का दिखावा कर रहा है लेकिन चुनावी प्रचार से पूरी तरह से नदारद है।
ठीक इसके उलट पूर्व केबिनेट मंत्री व नगर विधायक मदन कौशिक व उसका पूरा खेमा जी जान से त्रिवेंद्र रावत के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ा दिखाई दे रहा है। ये बात किसी से नहीं छिपी कि 2022 के पिछले विधानसभा चुनावों में प्रदेश अध्यक्ष रहते मदन कौशिक पर पार्टी के ही कुछ प्रत्याशियों ने उन पर चुनाव हरवाने का आरोप लगाया था,जिनमे लक्सर सीट से पूर्व विधायक संजय गुप्ता ने तो बाकायदा खुलकर मदन कौशिक के खिलाफ उन्हें चुनाव हरवाने के आरोप लगते हुए एक विडियो भी जारी की थी। हालांकि पार्टी इस प्रकरण को लेकर हाईकमान ने एक अंदरूनी जांच भी की और चुनाव परिणामों तक का इंतजार किया। लेकिन चुनावी परिणाम आने के बाद से किस तरह भाजपा आलाकमान ने ना सिर्फ मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया बल्कि उन्हें धामी मंत्रिमंडल मेे भी कहीं जगह नहीं दी गई और वह केवल विधायक भर बनकर रह गए।
हालांकि एक समय ऐसा भी था जब यही त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रदेश के मुखिया थे तब कहा जाता है कि हरिद्वार मेे रहकर सरकार मदन कौशिक ही चला रहे थे। त्रिवेंद्र के रहते जहा प्रदेश में मदन कौशिक का पूरा रुतबा था तो वहीं हरिद्वार जिले में मदन गुट पूरी तरह हावी रहा। ये वही मदन कौशिक है जब त्रिवेंद्र रावत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तब उन्हें उनके आवास पर आधी रात को बधाई देने मदन कौशिक उनके घर डोईवाला पहुंचे थे। शुरू से ही में कौशिक को त्रिवेंद्र का खास मना जाता रहा।
लेकिन मदन के राजनीति समीकरण तब बदले जब 2019 में हरिद्वार से डॉ निशंक सांसद बने और 2022 में धामी के नेतृत्व में प्रदेश मेे दूसरी बार भाजपा की सरकार बनी। नतीजा यह हुआ कि एक ओर मदन पर पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ काम करने का आरोप लगा तो दूसरी ओर निशंक खेमा जिले में हावी होता गया। इससे पार्टी के भीतर की गुटबाजी भी सामने आती दिखी। लेकिन जिस तरह निशंक का टिकट काटकर त्रिवेंद्र रावत को प्रत्याशी बनाया गया उससे एक बार फिर से हाशिए पर चले गए मदन व उनके गुट को नई संजिविनी मिल गई।
ताजा हालात में त्रिवेंद्र रावत की हर चुनावी सभा,रैली अथवा प्रेस कांफ्रेंस में मदन कौशिक व उनका कहना है नजर आ रहा है जबकि डॉ निशंक ने त्रिवेंद्र के चुनाव से लगभग दूरी ही बना ली। हालांकि ऊपरी स्तर पर चाहे जो भी दलीलें सामने आए लेकिन सच्चाई सबके सामने है।
