हरिद्वार। योग मन शांत रखने और रोगों को दूर रखने को सबसे सरल माध्यम है। योग हमारे ऋषि-मुनियों की देन है। योग के माध्यम से ही भारत पुनः विश्वगुरु के पद पर पुनः प्रतिष्ठित हो सकता है।
उक्त उद्गार स्वामी परमेश्वर गिरि महाराज ने शुक्रवार को योग साधकों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। संन्यास मार्ग स्थित आश्रम में साधकों को योग सिखाते हुए उन्होंने कहाकि यदि व्यक्ति नित्यप्रति योग का अभ्यास करता है तो वह सम्पूर्ण जीवन निरोगी रह सकता है। योग करने से आयु में भी वृद्धि होती है। योग का नाम ही जोड़ है। जो शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर व्यक्ति को नवजीवन प्रदान करता है। उन्होंने कहाकि हमारे ऋषि-मुनि सैंकड़ों वर्ष तक जीवित रहते थे। उसका प्रमुख कारण योग ही था। \
उन्होंने योग के कई प्रकार बताए। इस दौरान उन्होंने साधकों को सूर्य नमस्कार, चक्रासन, कपाल भाति, अनुलोम-विलोम के साथ सूत्र नेती का भी अभ्यास करवाया। उन्होंने कहाकि आजकल लोग एलौपेथी की ओर भाग रहे हैं। जबकि पश्चिम के लोग भारतीय संस्कृति व योग का आत्मसात कर रहे हैं। कहाकि एलोपैथी से तत्काल आराम तो पाया जा सकता है, किन्तु रोग के समूचे निदान के लिए आयुर्वेद और योग की शरण में जाना ही होगा। उन्होंने स्वस्थ रहने के लिए सभी से प्रतिदिन कुछ समय योग के लिए निकालने की अपील की। उन्होंने कहाकि यदि भारत के लोग स्वस्थ रहेगें तो भारत उन्नति करेगा।