दैनिक बद्री विशाल
रुड़की/संवाददाता
नगर निगम रुड़की के सामान खरीद/फरोख्त मामले में निगम के तीन पार्षदों ने सहायक नगर आयुक्त चन्द्रकांत भट्ट व कनिष्ठ लिपिक राजीव भटनागर पर बोर्ड गठन से पूर्व लाखों रुपये गबन करने की जांच को लेकर काबिना मंत्री मदन कौशिक व शहरी विकास सचिव को शिकायती पत्र भेजा था। इस सम्बन्ध में तीनों पार्षदों द्वारा मीडिया को भी लेटर पैड पर अपने हस्ताक्षर व मोहर लगाकर प्रकाशन करने के लिए दी गई थी। जबकि सहायक नगर आयुक्त चन्द्रकांत भट्ट ने एक पोर्टल को दिये ब्यान में कहा था कि शिकायत करने वाले पार्षदों ने निगम के पथ प्रकाश के जेई नरेश कुमार सिंह के बहकावे में आकर उक्त शिकायत की थी। जो गलत हैं। उक्त पार्षदों ने कनिष्ठ लिपिक व एसएनए की कार्यशैली को सही ठहराया। वहीं इस सम्बन्ध में पार्षद धीरजपाल, पार्षद अंकित चौधरी व पार्षद पति सुबोध चौधरी ने एसएनए चन्द्रकांत भट्ट के ब्यान को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनका ब्यान पूरी तरह गलत व बेबुनियाद हैं। उन्होंने किसी जेई के दबाव में आकर कनिष्ठ लिपिक राजीव भटनागर व सहायक नगर आयुक्त चन्द्रकांत भट्ट द्वारा किये गये भ्रष्टाचार की शिकायत नहीं की थी, बल्कि उक्त अधिकारियों द्वारा किये गये गलत कार्यो के कारण अपनी मर्जी से की थी। साथ ही पार्षदों का कहना है कि यदि सहायक नगर आयुक्त चन्द्रकांत भट्ट ने इस तरह का कोई ब्यान दिया है तो वह दुर्भाग्यपूर्ण है और इस तरह की उनकी कार्यशैली भी ठीक नहीं हैं और वह अपने को इस जांच से बचाने के लिए तरह-तरह के आरोप अपने ही कर्मियों पर लगा रहे हैं। जो आरोप वह लगा रहे हैं, उन्हें पार्षदों ने ही गलत ठहराया और कहा कि चन्द्रकांत भट्ट अपनी कमियां छिपाने के लिए इसका ठींकरा दूसरों पर फोड़ने में लगे हैं, जो ठीक नहीं हैं।
इस प्रकरण में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब एसएनए को पता चला कि उनकी शिकायत उपर हो चुकी हैं, तो उन्होंने आनन-फानन में शिकायत करने वाले पार्षदों को अपने कार्यालय में बुलवाया और उनकी मिन्नत की कि वह अपनी शिकायत को वापस ले लें वरना उनकी नौकरी जा सकती हैं। इस पर पार्षदों ने कहा कि अगर उन्हें नौकरी की इतनी ही चिंता थी, तो बोर्ड गठन से पूर्व उनके द्वारा इतना बड़ा घालमेल क्यों किया गया? काफी मिन्नतें करने के बाद पार्षदों ने अपनी शिकायत वापस ले ली। इस मामले को लेकर चर्चा यह भी चल रही है कि जब मंत्री और सचिव द्वारा इस मामले की जांच के आदेश दिये गये तो, एसएनए को अपनी कुर्सी जाती दिखाई देख उन्होंने पार्षदों को अपने पास बुलाकर यह साबित कर दिया कि उनकी कार्यशैली में कहीं न कहीं छेद जरूर हैं। साथ ही उनके द्वारा दिये गये ब्यान से भी साफ जाहिर हो गया है कि उनकी जो शिकायत हुई थी, वह कहीं न कहीं सही थी और उन्होंने इस शिकायत को दबाने के लिए शिकायत करने वाले पार्षदों का सहारा लेकर अपने आरोपों को छिपाने के लिए नगर निगम में तैनात पथ प्रकाश के जेई नरेश कुमार सिंह पर पार्षदों को दबाव में लेकर उनकी शिकायत करने का मनगढ़ंत आरोप लगा दिया। जिसे पार्षदों ने सिरे से ही खारिज कर दिया। ऐसे में चन्द्रकांत भट्ट की कार्यशैली पर सवालियां निशान उठना लाजमी हैं। पार्षदों द्वारा भले ही अपने द्वारा की गई शिकायत को वापस ले लिया गया हो, लेकिन सरकार को चाहिए कि वह की गई शिकायत की गहनता से उच्च अधिकारियों द्वारा जांच जरूर करायें ताकि आने वाले समय में कोई भी अधिकारी सरकारी पैसे को ठिकाने लगाने का काम न कर सकें। वहीं सूत्रों का कहना है कि जो शिकायत पार्षदों द्वारा कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक को दी गई थी, इसकी जांच के लिए उन्होंने सचिव को निर्देशित भी कर दिया हैं। अब यह जांच किसी भी सूरत में दबने वाली नहीं हैं। निश्चित रुप से जांच के बाद भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर गाज गिरना तय हैं।