हरिद्वार। भगवान बद्रीनाथ धाम मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही आज ही हरिद्वार में भी बद्रीश पंचायत के कपाट पूरे वैदिक विधि विधान के साथ खोले गई। भगवान शिव की ससुराल कनखल में भी भगवान बद्री विशाल का विग्रह मौजूद है। कनखल में राजघाट स्थित बद्री विशाल भगवान के कपाट खुलने से पूर्व कल से यंहा पर रामचरित मानस का अखंड पाठ शुरू हुआ, जो आज दोपहर तक चलता रहा। आज सुबह पूजा अर्चना के साथ भगवान बद्रीश स्त्रोत का पाठ किया गया। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से लॉक डाउन के चलते हालांकि इस मौके पर श्रद्धालु नहीं पंहुच पाए। वैसे यंहा प्रतिवर्ष कपाट खुलने के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के दर्शन करने पंहुचते हैं।
इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान बद्रीविशाल के अनन्य भक्त आचार्य इंद्रमणि महाराज को एक रात बद्रीनारायण भगवान ने स्वप्न में दर्शन दिए और यंहा पर उनका मंदिर स्थापित करने को कहा। मंदिर के संचालक आचार्य इंद्रमणि के पौत्र पंडित गजेंद्र जोशी बताते हैं कि इसके बाद इंद्रमणि महाराज हरिद्वार से पैदल ही बद्रीनाथ धाम पंहुचे और भगवान बद्रीविशाल के दर्शन किये। वंहा से आने के बाद उन्होंने यंहा पर चतुर्भुज बद्रीनारायण की स्थापना की। उंन्होने यंहा पर बद्रीविशाल जैसा ही भगवान बद्रीनारायण का विग्रह स्थापित किया। पंडित गजेंद्र दत्त जोशी बताते हैं कि जब बद्रीनाथ धाम में मंदिर कब कपाट खोले जाते हैं उसी दिन यंहा भी भगवान बद्रीनारायण की विशेष पूजा अर्चना, अनुष्ठान किया जाता है। बद्री स्त्रोत का पाठ और भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। मगर इस बार लॉक डाउन की वजह से इस बार श्रद्धालुओं की अनुपस्थिति में भी धार्मिक आयोजन की परंपराओं का निर्वाह पूरे विधि विधान के साथ किया गया।
उन्होंने बताया कि मंदिर की स्थापना के बाद से ही बद्रीनाथ धाम की यात्रा से पूर्व बद्रीश मंदिर के दर्शन करने के बाद ही यात्रा शुरू करने की परंपरा रही है। मगर पिछले कुछ वर्षों से इस परंपरा के निर्वाह में कमी आई है। पंडित गजेंद्र का कहना है कि जो पुण्य फल भगवान बद्री विशाल के दर्शनों से प्राप्त होता है वही पुण्य फल बद्रीश पंचायत मंदिर में भगवान बद्री विशाल के दर्शन करने से प्राप्त होता है। बद्री नारायण भगवान भगवान यंहा आने वाले अपने सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।