भाजपा नेता अशोक त्रिपाठी ने गंगा के मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक को पापी कहा

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त्रिपाठी प्रकरण प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भगत के दरबार में पहुंचा
त्रिपाठी को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए थाः बंशीधर भगत
हरिद्वार।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष अशोक त्रिपाठी ने राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक को गंगा के मामले में पापी की संज्ञा दे डाली। जिससे भाजपा की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री और नगर विकास मंत्री मदन कौशिक पर त्रिपाठी ने अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए हरिद्वार में गंगा के साथ षडयंत्र करने का भी आरोप लगाया है।
गंगा को लेकर उनकी नाराजगी अपनी ही सरकार के खिलाफ खुलकर सामने आई है। उन्होंने मुख्यमंत्री व नगर विकास मंत्री पर आरोप लगाया है कि गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जो पाप किया था, मौजूदा मुख्यमंत्री व नगर विकास मंत्री भी उसमें पाप के समान भागीदार हैं। त्रिपाठी ने गंगा के दर्द को लेकर तीर्थ पुरोहित समाज के नाम एक पत्र सोशल मीडिया पर जारी कर आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री रावत व मंत्री मदन कौशिक अपने स्वार्थों के लिए गंगा को नहर बनाने पर तुले हुए हैं। 2016 में तब के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाईकोर्ट के निर्देशों पर गंगा किनारे दो सौ मीटर की परिधि में बने होटलों और अवैध कॉलोनियों को ध्वस्तीकरण से बचाने के लिए हरिद्वार में हरकी पैड़ी की धारा को गंगनहर मायापुर तक गंगाजल ले जाने वाली स्कैप चैनल का अध्यादेश जारी कर दिया था। तब भाजपा ने भी कांग्रेस सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया था और भाजपाइयों ने ऐलान किया था कि राज्य में भाजपा सरकार बनने पर हरीश रावत के इस काले कानून को वे तुरंत रद्द कर देंगे। परंतु राज्य में भाजपा सरकार बनने के 3 साल बाद भी हरीश रावत के हरकी पैड़ी में गंगा नदी को नहर बनाने के काले अध्यादेश को आज तक निरस्त नहीं किया गया है। जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक को पंडे और पुरोहित तथा उनकी संस्था गंगा सभा कई बार इस बारे में ज्ञापन भी दे चुकी है। परंतु राज्य की भाजपा सरकार में हरीश रावत के काले कानून को निरस्त नहीं किया। जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गंगासभा सहित तमाम पंडे, पुरोहितों को भरोसा दिया था कि वह जल्दी ही हरीश रावत सरकार के इस फैसले को निरस्त कर देंगे।
भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक त्रिपाठी द्वारा हरकी पैड़ी में गंगा नदी के मामले को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मंत्री मदन कौशिक को पापी कहने का मामला उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत के दरबार में पहुंच गया है। त्रिपाठी के इस बयान को प्रदेश पार्टी नेतृत्व ने बहुत गंभीरता से लिया है।
बात करते रहें बंशीधर भगत ने कहा कि त्रिपाठी को यह मामला सार्वजनिक रूप से नहीं उठाना चाहिए था। त्रिपाठी को इस मामले को पार्टी फोरम में लाना चाहिए था। या वे इस मामले के बारे में उन्हें अवगत कराते हैं तो वे इस मामले को सीधे मुख्यमंत्री के पास ले जाते हैं और इसका कोई ना कोई हल निकलता। भगत ने कहा कि गंगा हमारी मां है और हमें गंगा के प्रति पूर्ण आस्था और श्रद्धा है।
उन्होंने कहा कि त्रिपाठी द्वारा मुख्यमंत्री और मंत्री के बारे में कही गई बातों को वे पार्टी की अनुशासन समिति को संज्ञान में लेने के लिए कहेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी अनुशासनहीनता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं कर सकती है। मुख्यमंत्री हमारे सम्माननीय नेता हैं और पार्टी मुख्यमंत्री और मंत्री का पूर्ण सम्मान करती है। उन्होंने कहा कि अशोक त्रिपाठी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं उन्हें इस तरह की बातें से बचना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि समय आने पर वे त्रिपाठी से इस मामले में बातचीत भी कर सकते हैं। अशोक त्रिपाठी ने तीर्थ पुरोहित समाज के लोगों को लिखे अपने पत्र में कहा कि कांग्रेस सरकार के समय तब के मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा हरकी पैड़ी में गंगा की धारा को गंगा नहर की स्केप चैनल का शासनादेश लागू करवाया था। जिस शासनादेश को भाजपा की सरकार बनने पर अशोक त्रिपाठी और गंगा सभा के अन्य नेताओं ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन दिया था। परंतु अब तक राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के शासनादेश को निरस्त नहीं किया। जिस कारण हरकी पैड़ी पर गंगा नदी को लेकर विवाद चल रहा है। राज्य सरकार के कागजों में हरकी पैड़ी पर गंग नहर की स्केप चैनल बह रही है। पिछले दिनों गंगा सभा के पदाधिकारियों की एक प्रेस वार्ता में भी त्रिपाठी ने इस मुद्दे को उठाया था और अपनी ही पार्टी की प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। कहा था कि जब तक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रोड़ी बेलवाला में सरकारी होटल बनाया जा रहा है तब तक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हर की पैड़ी में बह रही गंगा नदी को स्केप चैनल बताने वाले शासनादेश को रद्द नहीं करेंगे।
इस बार अशोक त्रिपाठी ने पुरोहित समाज के लोगों को एक खुला पत्र लिखकर राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें गंगा की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का दोषी मानते हुए पापी तक कह डाला। कहा कि हरीश रावत ने गंगा के साथ जो पाप किया था उसकी सजा हरीश रावत को दो दो विधानसभा क्षेत्रों और लोकसभा का चुनाव हार कर भुगतनी पड़ी है। फिलहाल अशोक त्रिपाठी के पत्र ने राज्य भाजपा की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। माना जा रहा है कि भाजपा हाईकमान अशोक त्रिपाठी के खिलाफ मुख्यमंत्री और मंत्री के बारे में प्रयोग किए गए शब्दों को लेकर अधिक गंभीर है और अशोक की पार्टी को पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है। अब देखना है कि अशोक त्रिपाठी अपने बयान पर कितना कायम रहते हैं या पार्टी से निष्कासन के भय से गंगा जी के इस मुद्दे को छोड़ देते हैं। यह त्रिपाठी की गंगा के प्रति निष्ठा पर निर्भर करता है।

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