हरिद्वार। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी ) रुड़की कोविड-19 के इलाज के लिए एंटीवायरल की पहचान पर शोध करेगा। यह बयान प्रो. प्रवींद्र कुमार के नेतृत्व वाले एक प्रस्ताव के बाद आया है, जिसे विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) ने हरी झंडी दे दी है। शोध में प्रमुख वायरल रेप्लकेशन एंजाइमों- आरएनए आश्रित आरएनए पोलीमरेज (एनएसपी 12), वायरल प्रोटीज, और मिथाइलट्रांसफेरेज को लक्षित करने के लिए छोटे मोलेक्यूल इन्हिबिटर की पहचान की जाएगी। ये एंजाइम वायरस स्पिसिफिक होते हैं जो वायरल रोगाणु के जेनेटिक मटेरियल से घिरे होते हैं। वायरस स्पिसिफिक प्रोटीज वायरल पॉलीप्रोटीन में स्पिसिफिक पेप्टाइड बॉन्ड के दरार को उत्प्रेरित करता है। शोध को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत उच्च प्राथमिकता क्षेत्र में अनुसंधान की तीव्र आवश्यकता (आईआरएचपीए) के अंतर्गत वित्त पोषित किया जाएगा।
आईआईटी रुड़की के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रो. प्रवींद्र कुमार ने कहा कि शोध का उद्देश्य कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए एंटीवायरल मोलेक्यूल की पहचान करना है। यह इन-सिलिको अप्रोच के माध्यम से दवाओं की पहचान की प्रक्रिया में तेजी लाएगा जो उनके मोलेक्यूलर स्ट्रक्चर के कंप्यूटर-एडेड सिमुलेशन पर आधारित है।
वायरल प्रोटीज को लक्षित करने वाली फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से अप्रूव्ड दवाओं के बाइन्डिंग अफिनिटी के मूल्यांकन के लिए हाई थ्रुपुट वर्चुअल स्क्रीनिंग अप्रोच के आधार पर इन-सिलिको के काम के पूरा होने से शोध की तैयारी पहले ही हो चुकी है।
बताया कि शोध विभिन्न कंपाउंड लाइब्रेरीज से एंटीवायरल मोलेक्यूल की पहचान करने के लिए एक कंप्यूटर-आधारित हाई थ्रुपुट वर्चुअल स्क्रीनिंग अप्रोच का लाभ उठाएगा जो एंटीवायरल पोटेन्शियल के लिए मान्य होगा। यह शोध आईआईटी रुड़की के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की प्रो. शैली तोमर और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) इज्जतनगर के डॉ. गौरव शर्मा के सहयोग से संचालित किया जाएगा। इस पहल को लेकर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहाकि यह अप्रोच कोविड-19 से लड़ने के लिए एंटीवायरल मोलेक्यूल की पहचान में मील का पत्थर साबित हो सकता है।