हरिद्वार। जिला पंचायत उपाध्यक्ष राव आफाक अली ने कहा कि कोरोना महामारी में अपने ही घरों में क्वारंटीन किए गए लोगों को सरकार ने राशन पहुंचाने की जिम्मेदारी नहीं निभायी। आधा देश भूखा रह जाता यदि यूपीए सरकार द्वारा लागू की गयी खाद्य सुरक्षा योजना के तहत दो रुपए किलो गेंहू, तीन रुपए किलो चावल नहीं मिलता। मनरेगा योजना के तहत मजदूरी के काम से पैसा ना मिलता। उत्तराखण्ड की पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार द्वारा चलायी गयी दर्जनों पेंशन योजनाओं से भी गरीबों को मदद मिली। उन्होंने कहाकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत स्थानीय खाद्य पदार्थ मण्डवा, झंगोरा, काफल, कैठी, बुरास, कुलथ की दाल का प्रचार प्रसार ना करते, उनकी गुणवत्ता ना बताते तो वो रोजगार का साधन नहीं बन पाते। किसानों को उन्नत बीज, व नई टेक्नोलॉजी ना देते तो उनकी उपज ना बढ़ती, अच्छे दाम नहीं मिलते। कितने लोग भूखे मर जाते अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार ने लॉकडाउन का ऐलान किया तो पूरे भारत ने उसका पालन किया। लेकिन सरकार गरीबों को राशन व नकद आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने में नाकाम रही। सरकार मजदूरों को उनके घर भेजने में भी नाकाम रही। पैदल अपने घर लौट रहे सैकड़ों मजदूर अपनी जान गंवा चुके हैं। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि जान गंवाने वाले सभी मजदूरों के परिजनों को नकद आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जाए। राव आफाक अली ने बताया कि लॉकडाउन होने के बाद से ही वे गरीब जरूरतमंदों की मदद कर रही है। सलेमपुर सहित आसपास के दर्जनों गांवों में जरूरतमंद परिवारों को राशन, भोजन, मास्क, सेनेटाइजर के साथ नकद आर्थिक सहायता भी दी गयी। इस सेवा कार्य में सिडकुल की कई कंपनियों के साथ कई मित्रों का भी सहयोग मिला है। राव आफाक अली ने बताया कि जब तक जरूरत होगी सेवा कार्य निरंतर जारी रहेंगे।