अखाड़ा परिषद के परमादर्श समिति के प्रस्ताव का ठुकराने पर खुशी जतायी
हरिद्वार। ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी ने अखाड़ा परिषद के उस निर्णय का स्वागत किया है। जिसमें अखाड़ा परिषद ने कुंभ पर्व वर्ष 2021 में ही सम्पन्न् कराए जाने की बात कही है।
विदित हो कि अखिल भारतीय दशनाम संन्यासी परमादर्श आचार्य महामण्डलेश्वर समिति के उपाध्यक्ष स्वामी महेश्वरानंद पुरी महाराज ने संतों को एक प्रस्ताव भेजकर कोरोना महामारी के दृष्टिगत कुंभ पर्व 2021 की बजाय 2022 में कराए जाने का सुझाव दिया था। जिस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अखाड़ा परिषद के महामंत्री स्वामी हरिगिरि महाराज ने इसको सिरे से नकारते हुए कुंभ पर्व 2021 में ही सम्पन्न कराए जाने की बात कही। इस संबंध में अखाड़ा परिषद के निर्णय का स्वागत करते हुए ज्योतिषाचार्य पं. प्रीती मिश्रपुरी ने कहाकि अखाड़ा परिषद ने यह निर्णय लेकर कुंभ के गणित को समझा। कहाकि कोई भी त्योहार, मेला, स्नान, अपनी मर्जी से नहीं होता है। इसके पीछे ज्योतिष के योग होते हैं। उन्हीं योग में स्नान, व्रत, त्योहार करने का उत्तम फल प्राप्त होता है। कहाकि जब भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी हाती है तभी कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसी प्रकार जब अमावस्या को सोमवार होता है तो सोमवती अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। इसी प्रकार हरिद्वार का कुंभ तभी होगा जब कुंभ राशि में गुरु होंगे और मेष में सूर्य होंगे। और ये स्थिति 2021 में बनेगी। कहाकि इस वर्ष कुंभ होने में 12 वर्ष महत्व पूर्ण नहीं हैं। गुरु और सूर्य का कुंभ और मेष में होना अनिवार्य है। कहाकि सनातन धर्म में कोई भी गणना अंग्रेजी कलेंडर से नहीं की जाती है। सूर्य, चंद्र, नक्षत्र, गुरु की गति से त्यौहारों, व्रतांे, स्नानों की गणना की जाती है। कुम्भ में भी 12 वर्ष कोई जरूरी नहीं है। कुम्भ राशि में गुरु मेष में सूर्य जरूरी है। जब अमृत योग हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड में इन दोनों के परस्पर तीसरे ओर एकादश होने से बनेगा और वह स्थिति सिर्फ 5 अप्रैल 2021 से 14 मई तक बनेगी। ऐसे में कुंभ का आयोजन वर्ष 2021 में होना की श्रेयष्कर है।