हरिद्वार। निर्जला एकादशी पर्व पर मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने विधि-विधान से गंगा पूजन करते हुए लोक कल्याण की कामना की। इस अवसर उन्होंने निर्जला एकादशी पर्व के महत्व पर प्रकाश डाला। श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने कहा कि वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य लाभ देने वाली इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी को लोक में पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो स्वयं निर्जल रहकर ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को शुद्ध पानी से भरा घड़ा दान करता है। उसे जीवन में कभी किसी बात की कमी नहीं होती। हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। श्रीमहंत रविन्द्रपुरी ने कहा कि धर्म में 24 एकादशी होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है। तब 24 एकादशियों में दो एकादशी और जुड़ जाती हैं। इस तरह कुल 26 एकादशी हो जाती हैं। यू तो सभी एकादशी महत्पूर्ण होती हैं। लेकिन निर्जला एकादशी का विशेष स्थान है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने से सभी 24 एकादशियों का फल प्राप्त होता है। यह ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथी को पड़ती है। इस एकादशी में पानी पीना पूर्णतया वर्जित है। यही वजह है कि इसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक शास्त्रों में इसे भीमसेन एकादशी के नाम से भी जानते हैं। निर्जला एकादशी पूजन में मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी प्रदीप शर्मा, एसएमजेएन पीजी कॉलेज के प्राचार्य डा.सुनील कुमार बत्रा, स्वामी राजपुरी, स्वामी धनंजय, स्वामी मधुवन, टीना, प्रतीक सुरी, सुरेंद्र राठौर आदि उपस्थित रहे।