शनि के मकर राशि में प्रवेश करने पर बनते हैं युद्ध जैसे हालात
हरिद्वार। भारत-चीन के बीच लद्दाख सीमा पर युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। दोनों की देशों की सेनाएं आमन-सामने हैं। भारत द्वारा कूटनीतिक व राजनैतिक स्तर पर मामले को शांमिपूर्वक हल करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। जो हालात दोनों देशों के बीच बने हुए हैं उनको देखते हुए यही विचार आता है कि क्या दोनों देशों के बीच युद्ध होगा।
दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के संबंध में ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है शनि ग्रह जब-जब मकर राशि में आता है तो चीन के शासकों में विस्तारवाद का जन्म दे देता है। कारण की शनि साम्पवादी ग्रह है। इस कारण जब भी शनि ग्रह मकर राशि में आता है तो वह अपने को मजबूत करना चाहता है। वर्ष 1931 में जब शनि मकर राशि में आया तो चाइना जापान के बीच युद्ध हुआ। 1961 में जब मकर में शनि आया तो वियतनाम के साथ युद्ध हुआ। 1962 में भी शनि के मकर राशि में प्रेवश करने के कारण भारत-चीन के बीच युद्ध हुआ। बताया कि शनि एक राशि पर ढाई वर्ष रहता है। 1990 में चीन से भारत के बीच युद्ध के हालात बने थे, तब भी शनि मकर राशि में था। वर्तमान में शनि फिर मकर राशि में है। ये फिर आर्थिक युद्ध या फिर खुली लड़ाई का कारण बन सकता है। पं. प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार जब जनवरी में शनि मकर में आया तो चीन का दूसरे देशों को निगलने का कुचक्र शुरू हो चुका था। ओर ये ढाई वर्षों तक चलेगा। वर्तमान में शनि वक्री गति से चल रहा है। जब तक ये रहेगा तब तक चीन परेशान करेगा। और ऐसे हालात सितम्बर तक बने रहेंगे। परन्तु 30 जून के बाद उसमें कुछ सुधार हो सकता है। क्योंकि गुरु धनु राशि में प्रवेश करेंगे। वर्तमान में शुक्र, बुध, शनि, गुरु सभी वक्री हैं। ये ही परेशानी की जड़ हैं। इन वक्री ग्रहों के कारण ही पूरे विश्व में हाहाकार मचा हुआ है। पं. प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक आने वाला 21 जून का सूर्य ग्रहण और भी परेशानी ला सकता है। क्योंकि ये भारतीय उप महाद्वीप में दृश्य होगा और ज्योतिष के मुताबिक सूर्य ग्रहण युद्ध लेकर आता है। इस कारण चीन अमने-सामने का युद्ध ना भी करे परन्तु भारत को परेशान तो बहुत करेगा।