हरिद्वार। आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। यह उत्सव गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता ज्ञापित करने का दिन है। इस वर्ष यह पर्व 05 जुलाई को मनाया जाएगा। सनातन परंपरा में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। गुरु पूर्णिमा के मौके पर चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। जो कि भारत में दृश्य नहींु होगा।
गुरु पूर्णिमा का पर्व महार्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। वेद व्यास ने ही महाभारत समेत सभी 18 पुराणों की भी रचना की थी। महार्षि व्यास ने ही वेदों को विभाजित किया था, इसी कारण इनका नाम वेद व्यास पड़ा। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक ये पर्व गुरु से आर्शीवाद लेने का दिन है। जिससे जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में गुरु को परम पूजनीय बताया गया है। बच्चे को जन्म देने का काम तो माता-पिता करते हैं। लेकिन जीवन का सही मार्ग बताने वाला गुरु ही होता है। गुरु के बिना कोई भी मनुष्य ज्ञान प्राप्त कर ही नहीं सकता। गुरु के बिना मनुष्य का जीवन अज्ञानता के अंधेरे में खो जाता है। वह गुरु ही है जो किसी भी मनुष्य को अज्ञानता रूपी अन्धकार से बाहर निकालकर ज्ञान के प्रकाश की और ले जाता है। गुरु का मार्गदर्शन ही किसी व्यक्ति को महान बनाता है।
बताया कि गुरु पूर्णिमा का व्रत 4 जुलाई के दिन रखा जाएगा, लेकिन गुरु पूर्णिमा का पर्व 5 जुलाई के दिन मनायी जाएगी।
पूर्णिमा तिथि 4 जुलाई को 11 बजकर 57 मिनट से आरम्भ होगी और 5 जुलाई 10 बजकर 8 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
इसी दिन चंद्रग्रहण भी लगेगा जो धनु राशि में लगेगा। चन्द्र ग्रहण 5 जुलाई सुबह 8 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगा, जो दोपहर 2 बजकर 25 मिनट पर खत्म होगा। यह चंद्रग्रहण उपछाया होगा, जिसका सूतककाल मान्य नहीं होगा अर्थात इस दिन किसी भी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित नहीं होंगे। बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत्त होकर गुरु का पूजन कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। और अपनी सामर्थ्य अनुसार कुछ न कुछ भेंट अवश्य करें।