निगम प्रशासन आपसी खींचतान की लड़ाई में उलझा, रोकथाम के नहीं किए जा रहे उपाय
हरिद्वार। उत्तराखंड के 5300 लोग कोरोना महामारी की चपेट में आ चुके हैं। कुछ दिनों से कोरोना का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। इस बीच नई चिंता डेंगू को लेकर शुरू हो गई है। हरिद्वार जिले में 2 डेंगू के मामले सामने आने की खबर है। जिसके बाद प्रदेश स्तर पर डेंगू की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान समेत जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
हाल ही में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी अपने आवास पर 15 मिनट डेंगू पर वार के तहत जल इकठ्ठा न होने देने की अपील की थी। साथ ही साफ-सफाई रखने का संदेश दिया था। यूं तो डेंगू का प्रकोप उत्तराखंड में हर साल दिखाई देता है, लेकिन इस बार खतरा कोविड-19 के चलते और भी बढ़ गया है। कोरोना वायरस के चलते लोगों में दहशत है और अब इस दहशत को डेंगू ने इजाफा कर दिया है। लोग एक ओर कोविड-19 से परेशान हैं और दूसरी ओर अब डेंगू के भी फैलने की आशंका ने डर का माहौल बना दिया है। लोगों का कहना है कि ऐसे हालातों में नगर निगम को उचित छिड़काव और जरूरी कदम उठाने चाहिए। लेकिन हरिद्वार नगर निगम आपसी कलह में ही उलझा हुआ है। नगर निगम की ओर से डेंगू के लिए कोई योजना दिखायी नहीं दे रही है।
इसके साथ ही तीथनगरी में जगह-जगह सड़कों के खुदा होने के कारण बड़े-बड़े गड्ढ़े बने हुए हैं। जिस कारण बरसाती पानी उनमें भरा हुआ है। डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है। ऐसे में गड्ढ़ों में भरे पानी के कारण डेंगू के फैलने की संभावनाएं बढ़ गयी हैं। बावजूद इसके निगम प्रशासन इसकी रोकथाम की ओर कोई ध्यान दे, मेयर और विपक्ष आपसी खींचतान की राजनीति में उलझा हुआ है। निगम प्रशासन न तो डेंगू की रोकथाम के लिए कोई उपाय कर रहा है और नही प्रशासन की ओर से गड्ढ़ों को भरने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया जा रहा है। केवल अधिकारी अपने मातहतों को निर्देश देते ही दिखायी दे रहे हैं। समाजसेवी आशुतोष शर्मा का कहना है कि डेंगू के मामलों के बढ़ने से न केवल आम लोगों में इसको लेकर दिक्कतें बढ़ेगी। बल्कि, स्वास्थ्य विभाग के लिए भी ऐसे हालातों पर काबू कर पाना मुश्किल होगा। दरअसल, प्रदेश में कोविड-19 के चलते जिलों के मुख्य अस्पतालों को कोविड-19 मरीजों के लिए रिजर्व किया गया है। ऐसे में हरिद्वार जिले में डेंगू के मामले बढ़ने पर अस्पतालों में पूरी व्यवस्था मरीजों के लिए हो पाना मुश्किल हो जाएगा। इतना ही नहीं डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की उपलब्धता भी इस दौरान मरीजों के लिए बड़ी समस्या बन सकती है।