शक्तिपीठों की परम्परा के अनुसार को पूजा पद्वति
हरिद्वार। ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी ने कहाकि माता सती के शरीर से 52 शक्ति पीठ बने जो पूरे भारत में हैं। उनका एक ऐतिहासिक महत्व है। प्रत्येक शक्ति पीठ में उस स्थान की जहां पर वह स्थित है वहां की संस्कृति को समेटे है। उनके पूजा के तरीके अलग-अलग हैं। कहीं शक्ति पीठ का स्वरूप सौम्य है तो कहीं रूद्र रूप में है। सरकार इन 52 शक्ति पीठ को एक ही स्थान पर लाना चाहती है तो उस स्थान से जहां शक्ति पीठ है वहां से मिट्टी मंगाए तथा वहां की आरती वहीं की पूजा अर्चना करने का तरीका भी पुरोहितों को बताएं। कहाकि सभी 52 पीठो ंके पूजा का तरीका अलग-अलग है। और पूजा के समय भी अलग अलग हैं। जैसे कामाख्या पीठ वर्ष में एक महीने के लिए पूर्णतय बंद होती है। तो यहां पर ऐसी ही व्यवस्था हो तभी शक्ति पीठों को एक साथ लाया जा सकता है। बता दें कि प्रदेश सरकार हरिद्वार में 10 हेक्टेयर भूमि पर 52 शक्तिपीठों के मंदिरों की स्थापना करने जा रही है। जिसके संबंध में प्लान भी तैयार हो चुका है। उम्मीद है कि आगामी दो वर्षों में शक्तिपीठ का मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।