स्तनपान सप्ताह पर ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज में बेबिनार का आयोजन
हरिद्वार। शिशु स्तनपान सप्ताह का आयोजन उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के ऋषिकुल परिसर के बालरोग विभाग में किया गया। शिशु स्तनपान सप्ताह का शुभारम्भ 1 अगस्त को हुआ था। शनिवार को सप्ताह का समापन हुआ।
बालारोग विभाग की प्रोफेसर डा. रीना पाण्डेय ने बताया कि इसका आयोजन स्तनपान के प्रति जागरूगता एवं बढावा देने के उद्देश्य से किया गया है। इसके अन्र्तगत राष्ट्रंीय स्तर पर स्लोगन, प¨स्टर, निबन्ध एव शाफर्ट फिल्म प्रतियोगिताअ¨ं का आयोजन किया गया। इसमे देशभर के बाल रोग विभाग, आयुर्वेदिक कालेज के लगभग 100 स्नातक एवं स्नातक¨त्तर छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।
उन्होंने बताया कि मां का दूध बच्चे का पहला प्राकृतिक टीका है।
मां का दूध शिशु की रक्षा कर बच्चे को बलवान बनाता है। इससे बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। बताया कि इस अवसर पर आयोजित स्लोगन प्रतियोगिता में हरिद्वार की श्रीतिका काप्री एवं डाख् अवधेश डंगवाल प्रथम स्थान पर रहे।
निबन्ध प्रतियोगिता में भोपाल की अंजली मिश्रा एवं कर्नाटक की डा. चैतन्य पी आर प्रथम स्थान पर रहे। शाॅर्ट फिल्म प्रतियोगिता में ऋिषिका पाठक को प्रथम स्थान मिला। स्तनपान जागरूकता सप्ताह का समापन नेशनल वेब कान्फ्रेन्स के द्वारा हुआ। इस आॅनलाईन कान्फ्रेन्स का शुभारम्भ जोधपुर आयुर्वेद यूनीवर्सिटी के वाॅइस चांसलर प्रोफेसर अभिमन्यु कुमार एवं उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के वाॅइस चांसलर प्रोफेसर सुनील जोशी की अध्यक्ष्ता में हुआ। इस अवसर पर आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तीनों परिसर के परिसर निदेशक प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी, प्रोफेसर अनूप गक्खड. एवं प्रोफेसर राधावल्लभ सती उपस्थित रहे। वेबिनार के अथिति वक्ता बनारस मेडिकल साइंस के प्रोफेसर बीएम सिहं ने बताया कि शिशु के लिए छः माह तक सिर्फ माॅ का दुग्ध ही सर्वश्रेष्ठ होता है। बाजार में उपलब्ध परिस्कृत दुग्ध सिर्फ कुछ परिस्थितियों में ही डाॅक्टर की सलाह पर शिशु को पिलाना चाहिए। आॅल इण्डिया इन्सटिट्यूट आॅफ आयुर्वेद के ऐसोसिऐट प्रोफेसर डा. राजगोपाल पी. ने कोरोना काल में स्तनपान के महत्व को बताया। उन्होनें बताया कि यदि मां कोराना से संक्रमित भी हो जाए , तब भी स्तनपान जारी रखना चाहिए, लेकिन साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। मास्क का प्रयोग लगातार करें, हाथों को साफ करके तथा स्तन को भी साफ करके शिशु को कपडे़ से
ढककर स्तनपान कराए। लेकिन यदि बीमारी के कारण वह सीधे स्तनपान कराने में असमर्थ है, तब हाथ या ब्रेस्टपम्प से दुग्ध को निकालकर शिशु को स्तनपान कराना चाहिए। पपरोला, हिमाचल आयुर्वेद कालेज के प्रोफेसर राकेश शर्मा ने बताया कि स्वस्थ्य स्तनपान कराके शिशु मृत्यु दर को घटाया जा सकता है। इस अवसर पर प्रोफेसर जीपी गर्ग, प्रोफेसर डा. दीपशिखा आदि उपस्थित रहे।