हरिद्वार। ज्योतिषाचार्य पं. प्रती मिश्रपुरी ने कहा है कि सनातन धर्म में समस्त व्रत, आस्था, मेले, मुहूर्त सभी ग्रहों पर आधरित होते हैं। सूर्य-चन्द्रमा के द्वारा हिंदी महीने का निर्माण होता है। महीने में 30 तिथियां होती हैं। जिसमें 15 दिनों के बाद अमावस्या तथा 15 दिनों के बाद पूर्णिमा होती है। इन महीनों में पूरे वर्ष ये तिथियां घटती बढ़ती रहती हैं। तीन वर्षों के उपरांत ये घटी-बढ़ी तिथियां एक पूरे महीने का निर्माण करती हैं। इसमें विशेष ये होता है कि इस महीने में संक्रान्ति नहीं होती है। इसको पुरुषोत्तम मास या अधिक मास कहा जाता है। ये वर्ष में किसी भी महीने के बाद या पहले हो सकता है। श्री मिश्रपुरी के मुताबिक इस बार ये अधिक मास अश्विन मास के बाद आ रहा है। अर्थात इस वर्ष दो अश्विन मास होंगे। ये मास पितृ पक्ष के बाद प्रारम्भ होगा और 30 दिनों तक रहेगा। हमेशा पित्र पक्ष के बाद नवरात्र प्रारम्भ होते हैं, परंतु इस बार पुरुषोत्तम मास आने के कारण नवरात्र देर से शुरू होंगे।इस बार पित्र पक्ष 17 सितम्बर को समाप्17 अक्टूबर से प्रारंभ होंगे। ये संयोग काफी वर्षों के बाद होगा। इसी लिए इस बार मुहूर्त भी देर से होंगे। बताया कि लोग प्रायः नवरात्रि में मुहूर्त कर लेते हैं, परंतु ये सभी कुछ अब एक मास बाद प्रारम्भ होगा। कुछ विद्वानों का कहना है कि ये संयोग 165 वर्षों के बाद आ रहा है। बताया कि पितृ पक्ष में कोई शुभ मुहुर्त नहीं होता। अधिक मास में भी शुभ मुहुर्त नहीं होता है। इस कारण जो लोग किसी कार्य के लिए शुभ मुहुर्त की सोच रहे हैं उन्हें अभी इंतजार करना होगा।