हरिद्वार। श्रीपंच दशनाम जूना आनंद अखाड़े द्वारा संचालित प्राचीन पवित्र छड़ी यात्रा आज वृहस्पतिवार को कर्णप्रयाग से बैजनाथ धाम पूजा अर्चना तथा भगवान शिव के दर्शनों के लिए रवाना हुई। बैजनाथ धाम पहुंचने से पूर्व कई स्थानों पर स्थानीय नागरिकों तथा प्रशासनिक अधिकारियों ने छडी का स्वागत किया। नारायण बगड़ में जूना अखाड़े के मंडल श्रीमहंत शिवानंद गिरि महाराज, महंत सोमकर गिरि, महंत कल्याण गिरि, महंत सुरेशानंद के नेतृत्व में डा. हरपाल सिंह,ब् लाक प्रमुख यशपाल सिंह ने सैकड़ों ग्रामीणों तथा स्थानीय नागरिकों के साथ पुष्पवर्षा कर छड़ी का स्वागत किया तथा पूजा अर्चना की। यहां से छड़ी यात्रा थराली शिव मन्दिर पहुंची,जहां श्रीमहंत रजनीशानंद गिरि, वीडीओ देवीदत्त उनियाल ने स्थानीय नागरिकों के साथ ढोल-बाजों और पुष्पवर्षा के साथ छडी का स्वागत किया। शिव मन्दिर में भगवान शिव के अभिषेक के पश्चात् पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की गयी। कई स्थानों पर स्वागत के पश्चात प्राचीन पवित्र छड़ी पौराणिककालीन शिवमन्दिर बैजनाथ धाम पहुंची। बैजनाथ धाम में छड़ी का महंत भगीरथ गिरि, जीवन गिरि, योगेश वर्मा, राजू भण्डारी, मनीष वर्मा, पवन नेगी, नंदन गिरि ने पूजा अर्चना कर स्वागत किया। बैजनाथ धाम का पौराणिक शिवमन्दिर में मुख्य पुजारी पं. पूरण गिरि ने छड़ी का पूजन किया तथा कुमायॅू मण्डल की यात्रा प्रारम्भ सफलतापूर्वक सम्पन्न कराए जाने की कामना के साथ भगवान शिव का अभिषेक किया। छड़ी के प्रमुख तथा जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने बताया बैजनाथ धाम 9वीं शताब्दी में कुमायूंनी कत्यूर राजाओं द्वारा बनाया गया था। बैजनाथधाम वस्तुतः कई मन्दिरों का समूह है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां गोमती तथा गरूड़ नदियों के संगम पर भगवान शिव तथा पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह अत्यन्त महत्वपूर्ण शिव मन्दिरों में से एक माना जाता है। श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने बताया बृहस्पतिवार से कूमायुं मण्डल की पवित्र छड़ी यात्रा का द्वितीय चरण प्रारम्भ हो गया है। बैजनाथ धाम में कुमायूं मण्डल की प्रथम पूजा के दौरान राष्ट्र की सुख-समृद्वि, शांति तथा विश्व को कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से बचाने के लिए प्रार्थना की गयी। वहीं बाबरी मस्जिद विध्वंस के सभी 32आरोपियों को बरी किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी सन्यासियों साधुओं ने भगवान बैजनाथ की विशेष पूजा अर्चना की। बैजनाथ धाम से पवित्र छड़ी श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज की अगुवाई में रात्रि विश्राम के लिए कौसानी पहंुची।