हरिद्वार। देव संस्कृति विश्वविद्यालय ने वैश्विक स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनायीं ह। विश्वविद्यालय के अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ 55 से अधिक अनुबन्ध हुए है। इसी सफलता के पथ पर आगे बढ़ते हुए लातविया स्थित अपने साथी विश्वविद्यालय डोगावपिल, लात्विया के साथ एक और छात्रवृत्ति प्राप्त की है। यह एक विशेष उपलब्धि इसलिए भी है क्यूंकि इस वैश्विक महामारी के इस चुनौती पूर्ण समय में भी, एकमात्र इसी एक छात्रवृत्ति को अनुमोदन प्राप्त हुआ है। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति मार्च में देव संस्कृति विश्वविद्यालय पधारे थे। यहां के सुसंस्कार एवं व्यवस्था देखकर वे प्रभावित हुए। विश्विद्यालय के 3 छात्र और 5 स्टॉफ सदस्य स्कॉलरशिप प्राप्त कर चुके हैं।
डॉ. पण्ड्या पिछले एक दशक से बाल्टिक देशों में प्रमुख शिक्षण संस्थानों को उनके भारतीय मूल से पहचान करवा रहे हंै। उनके संयुक्त प्रयासों से वर्ष 2016 में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के परिसर में पूरे एशिया का प्रथम बाल्टिक अध्ययन केंद्र भी स्थापित किया गया जिसमें भारतीय संस्कृति के विविध प्रमाण बाल्टिक संस्कृति में खोजे जा रहे हैं। जिससे सनातन संस्कृति के व्याप का अध्ययन किया जा सके। इस केंद्र द्वारा आज तक 50 से अधिक विद्यार्थि व शिक्षक विभिन्न समयावधियों में विनिमय कार्यक्रमों में सम्मिलित हुए हैं।
विश्व के 55 से अधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के साथ देव संस्कृति विश्वविद्यालय का अनुबंध है। सफलता की इस यात्रा में दे.सं.वि. वि. अभी तक बाल्टिक विश्वविद्यालयों के साथ 20 अनुबंध कर चुका है। इस मौके पर डॉ प्रणव पंड्या एवं संरक्षिका शैलबाला पंड्या ने भी बधाई दी।