इस बार देवोत्थान एकादशी पर भी नहीं बजेगी शहनाई

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गुरु के परम नीच भाव में होने से होगा ऐसा
हरिद्वार।
प्राच्य विद्या सोसायटी कनखल के ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीेक मिश्रपुरी के अनुसार जब भी देव गुरु मकर या सिंह राशि में आते हैं उसमंे विवाह नहीं करना चाहिए। विशेष रूप से यदि गुरु अपनी नीच राशि मकर में हो तो विवाह शुभ नहीं होता है। गुरु को सबसे शुभ ग्रह कहा जाता है। ये और शुक्र दोनों ही विवाह के कारक हैं। इसमें भी गुरु को समस्त धर्मिक कृत्यों का देवता कहा जाता है। विवाह में यदि गुरु शुभ हो तो कन्या हमेशा सुख मानती है। कन्या का गुरु बल इसीलिए देखा जाता है। उन्होंने कहाकि जब देवगुरु मकर राशि में आते हंै तो वह अपने शुभता खो देते हैं। किन्हीं ग्रंथों में तो मकर के गुरु में कोई भी शुभ कार्य करने को सही नहीं कहा गया है। मकर के गुरु में तो गंगा स्नान का फल तक नहीं मिलता है। कहा गया है कि यदि गुरु नीच राशि मकर में हो, वक्री हो, अतिचारी हो, तो संन्यास दीक्षा, देव यात्रा, व्रत, नियम, यज्ञ, वेद दीक्षा, विवाह, गंगा स्नान, देव प्रतिष्ठा कोई भी कार्य नहीं होता है। श्री मिश्रपुरी के मुताबिक इस वर्ष में गुरु 20 नवंबर 2020से 5 अप्रैल 2021 तक तक मकर राशि में होंगे। इसमें भी 13 जनवरी 2021 से 13 फरवरी 2021 तक गुरु अतिचारी होंगे। ये पूरा समय ही किसी भी शुभ मुहूर्त के लिए अनुकूल नहीं होगा। उत्तर भारत में देव प्रभोदनी एकादशी के बाद विवाह प्रारंभ हो जाते है। परंतु इस बार गुरु के परम नीच अंशांे में होने के कारण विवाह नहीं होगा। दिसंबर में कुछ विवाह मुहूर्त कुछ विद्वानों ने लिखे है। इसमें भी कुछ मुहूर्त 20 नवंबर से पहले के हैं। बताया कि 10 दिसंबर 2020 से 15 दिसंबर तक गुरु परम नीच में होंगे इसलिए इसमें विवाह नहीं होगा। 31 दिसंबर से 13 जनवरी 2021 से पोष मास रहेगा। 17 जनवरी से गुरु अष्ट भाव में हो जायेंगे, जो कि 13 फरवरी 2021 तक रहेंगे। 8 फरवरी 2021 से शुक्र अष्ट भाव में हो जायेंगे, जो कि संवत के अंत 12 अप्रैल तक रहेंगे। इस कारण सभी संस्कार, विवाह, दीक्षा, मूर्ति प्रतिष्ठा, केवल 7, 9, 10 या 21, 22, 25, 27, 30, नवंबर 2020 में ही किए जायेंगे। इसके अलावा कोई भी शुभ योग विवाह इत्यादि के लिए नहीं होगा।

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