हरिद्वार। भारतीय प्राच विद्या सोसाइटी कनखल के संस्थापक प्रतीक मिश्रपुरी ने कहाकि शुक्रवार को पुरुषोत्तम मास समाप्त हो गया। 17 अक्टुबर से पहला नवरात्र होगा। शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के 10 घड़ी तक या अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना की जा सकती है। परन्तु प्रतिपदा की प्रथम 16 घड़ी तथा चित्रा नक्षत्र के साथ वीदृती योग का पूर्व भाग घट स्थापना के लिए वर्जित है। उन्होंने बताया कि इस बार प्रतिपदा की 16 घड़ी 17 अक्टूबर को प्रात 7.20 तक ही है। इसलिए इसके बाद कलश स्थापना की जा सकती है। इसमें भी 7.46 से 9.12 प्रातःकाल कलश स्थापना की जा सकती है। इस दिन अभिजित मुहूर्त 11.38 से 12.26 तक होगा। इस समय भी कलश स्थापना की जा सकती है। श्री मिश्रपुरी के मुताबिक इस बार 25 अक्टूबर को नवमी 7. 42 प्रात तक रहेगी। उसके बाद दशमी है। और 26 अक्टूबर को दशमी 9 बजे तक ही है। विजयादशमी, अपराजिता का पूजन दोपहर में होता है तथा रावण दहन सांय काल में होता है। इसलिए दशहरा 25 अक्टूबर को ही होगा। इन नौ दिनों तक कन्या पूजन सर्वोत्तम होगा। किसी भी जाति, वर्ण की कन्या का पूजन किया जा सकता है। इन नवरात्रि में नई दुकान, ऑफिस, नई कार, मोटर साइकिल, खरीदना बहुत शुभ होगा। इसमें भी दूसरे, तीसरे, पांचवे, छठे, आठवें नवरात्रे में कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ किया जा सकता है। विशेष रूप से इन नवरात्रों में संतान प्राप्ति, नौकरी, पत्नी, पति, सफलता इत्यादि प्राप्ति के लिए अनुष्ठान किए जा सकते हैं। इन्हीं दिनों में तंत्र साधना, काली ,भैरव,की साधना भी की जा सकती है।