आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य के लिए मिला सम्मान
हरिद्वार। पतंजलि द्वारा आयुर्वेद के संरक्षण, संवर्धन एवं स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सोमवार को नई दिल्ली में इंटरेक्टिव फोरम ऑन इण्डियन इकोनामी द्वारा पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न प्रणब मुखर्जी ने आचार्य बालकृष्ण को चैंपियंस ऑफ चेंज अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस अवार्ड के लिए विशिष्ट ज्यूरी उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन एवं उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश ज्ञान सुधा मिश्रा ने आचार्य बालकृष्ण को चयनित किया गया। इस अवसर पर नंदन कुमार झा भी उपस्थित थे।
पुरस्कार प्राप्त कर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमें प्रसन्नता है कि लाखों कर्मठ कर्मयोगी भाई-बहनों के अथक प्रयासों, समर्पित स्वयंसेवकों व शिक्षकों के पुरुषार्थ से स्वामी रामदेव के नेतृत्व में पतंजलि योगपीठ ने हमारी ऋषियों की परम्परा योग एवं आयुर्वेद को पुनर्जागृत व स्थापित करने का महत प्रयास किया है। यह आप सबके सहयोग एवं प्रयासों से ही सम्भव हो पाया है।
कहा कि आज योग-आयुर्वेद के नाम पर कोई भी सम्मान या अवार्ड प्राप्त होता है तो वह उन ऋषियों की महानता एवं पतंजलि के कर्मठ कर्मयोगी भाई-बहनों, समर्पित स्वयंसेवकों व शिक्षकों की कर्मठता एवं पुरुषार्थ का ही परिणाम है। इस सम्मान को भी मैं आप सभी को समर्पित करता हूँ। उन्होंने कहा कि हम अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं कि ईश्वर ने हमें इस महान कार्य में निमित्त मात्र बनने का अवसर दिया है।
विदित है कि आयुर्वेद को पुनः प्रतिष्ठापित करने में आचार्य बालकृष्ण का अभुतपूर्व योगदान है। चाहे आयुर्वेद में अनुसंधान का विषय हो या प्राचीन पाण्डुलिपियों के संग्रह व प्रकाशन का या औषधीय आयुर्वेदिक पादपों की पहचान व उनके वर्गीकरण का कार्य, आयुर्वेद को पुनः प्रतिष्ठा दिलाने के लिए संकल्पित हैं। वहीं पाण्डुलिपियों के संरक्षण व उनके नवीन प्रकाशन का कार्य किया जा रहा है। सम्पूर्ण विश्व में पौधों की 3.6 लाख प्रजातियां हैं किन्तु उनमें से औषधीय पौधों की पूरी गणना अभी तक मौजूद नहीं है। आचार्य बालकृष्ण ने पहली बार पतंजलि ने अनुसंधान कर एक चेकलिस्ट बनाई जिसके अनुसार दुनिया में करीब 62 हजार औषधीय पौधे हैं। पतंजलि के प्रयासों से ही विश्व प्रसिद्ध स्वास्थ्य पत्रिकाओं जैसे नेचर इत्यादि में प्रथम बार आयुर्वेद को स्थान मिला है।