राम मंदिर ट्रस्ट में अखाड़ा परिषद को स्थान दे सरकार
हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने राज्य सरकार द्वारा श्राईन बोर्ड के गठन पर एतराज जताते हुए विरोध जताया। सोमवार को प्रेस को जारी बयान में श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने कहा कि श्राईन बोर्ड का गठन तर्कसंगत नहीं है। सरकार मंदिरों के अधिग्रहण की योजना बना रही है। यह किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में भी सरकार ने मठ मंदिरों के अधिग्रहण का प्रयास किया था। लेकिन संतों के कड़े विरोध के चलते और मां आनन्दमयी के अथक प्रयास से सरकार को झुकना पड़ा और सरकार ने अधिग्रहण का प्रस्ताव वापस लिया। उन्होंने कहा कि धार्मिक क्रियाकलापों व परंपराओं से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को श्राईन बोर्ड गठन के फैसले को वापस लेना चाहिए। मठ, मंदिर, आश्रम, पौराणिक सिद्ध पीठों की जो परंपराएं आदि अनादि काल से चली आ रही हैं। उन पंरपराओं पर सरकार को हस्तक्षेप सहन नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को श्राईन बोर्ड के गठन पर पुर्नविचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संत समाज के अलावा तीर्थ पुरोहित समाज लगातार श्राईन बोर्ड के गठन को लेकर अपना विरोध प्रकट कर रहा है। जनभावनाओं का सम्मान सरकार को करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 12 दिसंबर को मुख्यमंत्री के साथ होने वाली बैठक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा।
कहा कि सरकार को अपने आय के स्रोत अन्य साधनों से तलाशने चाहिए। उन्होंने कहा कि तीर्थ पुरोहित समाज की मांग जायज है। सरकार को इसे समझना चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार से आह्वान करते हुए कहा कि श्राईन बोर्ड के गठन के निर्णय को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने कनखल स्थिल श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन एवं श्री पंचायती अखाड़ा के महापुरूषों से भेंटकर महाकुंभ मेले की व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा की।
कहा कि अयोध्या में श्रीराम लला मंदिर ट्रस्ट का जो गठन किया जाएगा। उसमें अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, महामंत्री सहित निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष महंत राजेंद्रदास, महंत धर्मदास, महंत नृत्य गोपाल दास और विश्व हिन्दू परिषद व संघ के ंपदाधिकारियों को भी शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ट्रस्ट का अध्यक्ष नियुक्त किया जाए और ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ व रामचंद्र परमहंस के नाम पर राम मंदिर के द्वार बनाएं जाएं। क्योंकि ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ ने रामलला मंदिर के लिए आंदोलन शुरू कर अपने प्राणों का बलिदान दिया।