गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने तिलक कर दी विदाई
हरिद्वार। हैदराबाद में 2 से 5 जनवरी के बीच होने वाले अश्वमेध गायत्री महायज्ञ के संचालन के लिए गायत्री तीर्थ शांतिकुंज से यज्ञाचार्यों की टीम शुक्रवार को रवाना हो गयी। शांतिकुंज के वरिष्ठ कार्यकर्ता कालीचरण शर्मा के नेतृत्व में इस टीम में 29 सदस्य हैं। जिसमें यज्ञाचार्य, संगीतज्ञ एवं उपाचार्य के भाई शामिल हैं। यही टीम शांतिकुंज द्वारा संचालित हो रहे 46वें अश्वमेध गायत्री महायज्ञ का संचालन करेगी। टीम के सभी सदस्यों का गायत्री परिवार प्रमुखद्वय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं शैलदीदी ने मार्गदर्शन किया एवं मंगल तिलक कर विदाई दी। महायज्ञ की तैयारी के लिए शांतिकुंज से इंजीनियर एवं स्वयंसेवकों की टीम पहले से पहुंच चुकी है।
इस अवसर पर गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि राष्ट्र को समर्थ एवं सशक्त बनाने के उद्देश्य से अखिल विश्व गायत्री परिवार एक आध्यात्मिक अनुष्ठान में जुटा है। इसी क्रम के अंतर्गत श्रृंखलाबद्ध अश्वमेध गायत्री महायज्ञ सम्पन्न किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अश्वमेध महायज्ञ श्रृंखला का पहला कार्यक्रम 1992 में जयपुर से हुआ था, उसके पश्चात भारत सहित इंग्लैण्ड, कनाडा, यूएस, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैण्ड में भी महायज्ञ सम्पन्न हो चुके हैं। इस श्रृंखला का 46वाँ तथा दक्षिण भारत का पांचवां अश्वमेध महायज्ञ हैदराबाद में 2 से 5 जनवरी के बीच होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि अश्वमेध महायज्ञ-एक राष्ट्रीय अभियान है, जो समूचे राष्ट्र को संघटित और एक सूत्र में बांधे रखता है। संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि यह यज्ञीय परंपरा ही है, जिसके कारण जड़ और चेतन दोनों ही सुव्यवस्थित रूप से बनाये हुए हैं। इसलिए यज्ञ तत्त्व को विश्व की नाभि कहा गया है।