हरिद्वार। अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय सहायक प्रवक्ता अविक्षित रमन ने कहा कि पौरोहित्य कर्म करने वाले पंडितों, कर्मकांडी ब्राह्मणों, छोटी-छोटी भजन संध्या करने वाली ब्राह्मणों और संगीतकारों की टीम, अखंड रामायण पाठ करने वाली ब्राह्मणों की टोली, छोटे-छोटे गांवों में भगवान की कथा बांचने वाले ब्राह्मणों और उनकी संगीत मंडली भी इस लाकडाउन में पूरी तरह बेरोजगार हो चुकी है। ये सब न संगठित क्षेत्र में आते हैं, न असंगठित क्षेत्र में और न ही मनरेगा में रजि. मजदूर हैं, न ही बीपीएल में दर्ज हैं। न दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा मौलाना आदि को दी जाने वाली हजारों रुपये तन्ख्वाह वाले दायरे में आते हैं। कहाकि प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए 20 लाख करोड़ की भारी-भरकम सहायता राशि की घोषणा की है। इस भारी-भरकम सहायता में से इन ब्राह्मणों के हिस्से में क्या आएगा?
कोई स्वयंसेवी संगठन भी ब्राह्मण कर्म करने वाले पंडितों के लिए नहीं है, न ही कोई सरकारी योजनाओं से ब्राह्मणों की सहायता की जा रही है और न ही हिंदू समाज पंडितों के लिए सहायता की सोच भी रखता है। उन्होंने कहाकि पुरोहितों ने धरातलीय स्तर पर कर्मकांड के द्वारा ही सही हिंदू धर्म को जीवित रखा है। दुःख की घड़ी में ब्राह्मणों के साथ कोई नहीं है। ऐसे में आने वाली पीढि़यों में कौन कर्मकांडों को करना चाहेगा।
कहाकि यजमान ही अपने पुरोहितों की यथासम्भव सहायता कर सकते हैं। पुरोहितों ने सदैव अपने यजमानों के कल्याण की ही कामना की है। श्री रमन ेहाकि संसार के सभी कार्यक्षेत्र के लोग आपके येन-केन-प्रकारेण दोहन का ही चिंतन रखते हैं, किंतु एकमात्र ब्राह्मण हैं जो सभी के हित के लिए प्रार्थना करते हैं। संकट की इस घड़ी में जब लगभग सभी का थोड़ा बहुत काम चल ही रहा है, मजदूरों को सरकारी राशन मुफ्त मिल रहा है, अनेक स्वयंसेवी संगठनों ने भी गरीबों को लगातार सहायता दी है, सरकारी कर्मचारियों को तन्ख्वाह, पेंशन मिलनी ही है, प्राइवेट कर्मचारी भी तन्ख्वाह, पीएफ आदि ले ही रहे हैं किंतु कर्मकांडी ब्राह्मणों, पुरोहितों, भजन संध्या, जागरण, कथा आदि के संगीतकारों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। उन्होंने सरकार के साथ यजमानों से अपने-अपने पुरोहितों की सहायता करने की अपील की है।