हरिद्वार। संत की प्रवृत्ति खुद कष्ट में रहकर समाज को सुख देने की होती है। पिछले 30 वर्षों से भी अधिक समय से बंसी वाले बाबा भूखे को रोटी-प्यासे को पानी का बन्दोबस्त कर रहे हैं। निरन्तर चलने वाले भंडारे से प्रतिदिन हजारों लोगों को भोजन कराने वाले बाबा को जितनी प्रसन्ता इसमें मिलती है। वह किसी साधना से कम नहीं।
ऐसे संतों के दर्शन से ही भगवान के दर्शन की अनुभूति होती है। यह कहना है राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख पदम सिंह का।
उत्तरी हरिद्वार स्थित बंसी वाले बाबा के आश्रम पर पहुंचकर आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने उनकी संस्था द्वारा निरन्तर चलने वाले मां अन्नपूर्णा भंडारे पर समाज की ओर से आभार व्यक्त किया। आरएसएस प्रचार प्रमुख पदम सिंह ने कहा कि सनातन परंपरा में ऋषि-मुनियों का वर्णन है। ऋषि अपने हाड़ तक को गलाकर मानव कल्याण में लगा देते थे। समाज के कल्याण के लिए ऋषि-मुनियों का तप-बलिदान, साधना सब कुछ समर्पित रही है। इसी प्रकार आज भी संत समाज के तपस्वी संत अपना सब कुछ समाज की रक्षा के लिए समर्पित कर रहे है।
उन्होंने कहा कि बाबा बन्शी बाले यथा नाम तथा गुण, एक भी व्यक्ति भूखा नहीं रहना चाहिये यही मेरे जीवन का संकल्प है, ओर इसी संकल्प को गत 30 वर्षों से सतत पूर्ण करते चले आ रहे हैं। कोविड 19 वैश्विक महामारी में भी 23 मार्च से कैम्पांे में रहने वाले फक्कड़, साधु व अन्य लगभग 2000 का भोजन, नाश्ता प्रतिदिन आश्रम द्वारा तथा अन्य सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से लगभग 100 कुंतल चावल, आटा , दाल व घी तेल मसालों का सहयोग निरन्तर दिया गया है। पदम सिंह सहित संघ कार्यकर्ताओं ने उनका आशीर्वाद लिया। बाबा बंसी वाले का आभार व्यक्त करने वालो में आरएसएस के विभाग प्रचारक शरद कुमार, अमित शर्मा, अमित त्यागी, नितिन, मनीष आदि मुख्य थे।