हरिद्वार। वैश्विक महामारी कोरोना के विनाश के लिए शुक्रवार को मां बगलामुखी जंयती पर कनखल स्थित श्री सूरत गिरि बंगला गिरिशानंद आश्रम में मां बगलामुखी की विशेष पूजा-अर्चना व होम किया गया। आश्रम के एकादश पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज के निर्देशन में वैदि विद्वानों द्वारा बगलामुखी अनुष्ठान किया गया। इस दौरान महामण्डलेश्वर स्वमी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने कहाकि मां बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या हैं। शत्रुनाश के लिए मां बगलामुखी की आराधना विशेष फलदायी होती है। इस समय समूचे विश्व में कोरोना शत्रु की भांति लोगों के जीवन पर हमला कर रहा है। कोराना रूपी राक्षक के विनाश के लिए मां बगलामुख्ी का अनष्ठान उनकी जयंती पर किया गया। कहाकि निश्चित रूप से अनुष्ठान सफल होगा और विश्व से कोरोना रूपर राक्षस का मां बगलामुखी विनाश कर जनमानस को समृद्धि और ऐश्वर्य प्रदान करेंगी।
कहाकि मां बगलामुखी भोग एवं मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली हैं। मां बगलामुखी के प्रादूर्भाव के संबंध में उन्होंने बताया कि एक समय ब्रह्मांड में प्रचंड तूफान उठा। जिससे तीनों लोकों में त्राहि-त्राहि मच गई। जो तूफान उठा वह एक राक्षस के रूप में था। तूफान की भयावहता को देख देवताओं को ब्रह्मांड रक्षा की चिंता सताने लगी। तुफान से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सौराष्ट्र प्रदेश में जाकर हरिद्रा सरोवर के पास भगवती त्रिपुर सुंदरी की तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवती त्रिपुर सुंदरी ने भगवती बगलामुखी की अपने हृदय से उत्पत्ति की और भगवती बगुलामुखी ने उस राक्षस का वध कर तीनों लोकों में शांति की स्थापना की। कहाकि मां बगलामुखी की आराधना से शत्रुओं का स्तंभन होता है। कहाकि इस समय विश्व का सबसे बड़ा शत्रु कोरोना संक्रमण है। इससे विश्व को निजात दिलाने के लिए मां बगलामुखी का अनुष्ठान उनकी जयंती पर किया गया। जिससे निश्चित ही विश्व कोरोना के ताप से मुक्त होगा और पुनः शांति की स्थापना होगी।