हरिद्वार। कुंभ का आयोजन होने में अभी करीब चार माह का समय शेष है। इस दौरान जहां सरकार कुंभ से पूर्व सभी कार्य पूर्ण कर लिए जाने के दावे कर रही है। वही संत समाज कार्यों की धीमी गति से मेला प्रशासन और सरकार से नाराज है। वहीं कुंभ से पूर्व संतों में आपस में और सरकार के बीच रार शुरू हो गयी है।
बैरागी संतों के लिए आरक्षित बैरागी कैंप में बैरागी संतों द्वारा किए गए अतिक्रमण को लेकर मेला प्रशासन द्वारा बैरागी संतों के तीनों अखाड़ों को नोटिस दिए जाने से बैरागी संत आगबबूला हो गया है। प्रेस वार्ता कर बैरागी संतों की तीनों अणियों ने सरकार से किसी भी प्रकार की सुविधा न लेने और जरूरत पड़ने पर कुंभ स्नान के वहिष्कार भी सरकार को चेतावनी दे दी है। इन हालातों से कुंभ से पूर्व रार शुरू हो गयी है। वहीं बैरागी संत अतिक्रमण का नोटिस मिलने के बाद से जहां आगबबूला हैं वहीं डबल स्टैण्ड बनाए हुए हैं। संतों ने प्रेस वार्ता में जहां सरकार से किसी भी प्रकार की सुविधा न लेने का ऐलान किया वहीं दूसरी ओर छावनी निर्माण के लिए संन्यासी अखाड़ों को सरकार की ओर से मिलने वाले एक-एक करोड़ रुपयो बैरागी अखाड़ों को भी दिए जाने की मांग कर डाली। एक ही समय में दोहरा मापदण्ड अपनाकर बैरागी संतों ने अपनी मंशा को जाहिर कर दिया है।
जब बैरागी संत राजेन्द्रदास, महंत धर्मदास ने सरकार से कुंभ में कोई भी सुविधा न लिए जाने की बात कही तो एक-एक करोड़ रुपयो बैरागी अखाड़ों के लिए दिए जाने की मांग करने का क्या औचित्य है। संत केवल ऐसा कर सरकार और मेला प्रशासन पर दवाब बनाने का कार्य कर रहे हैं। देख जाए तो बैरागी कैंप में अन्य लोगों के साथ बैरागी संतों ने भी अतिक्रमण किया हुआ है। ऐसे में यदि मेला प्रशासन द्वारा उन्हें अतिक्रमण हटाए जाने संबंधी नोटिस दिया गया तो इसमें गलत क्या। वहीं एक ओर सरकार से सुविधाएं न लेने का ऐलान किया जा रहा है वहीं दूसरी और एक-एक करोड़ की मांग की जा रही है। कुल मिलाकर देखा जाए जो यह सरकार पर दवाब बनाना और एक-एक करोड़ रुपया लेने की साजिश भर है।