भारतीय लोकतान्त्रिक प्रणाली के अन्तर्गत किसी भी तरह के चुनाव में हिस्सा लेने के लिए व्यवस्था और नियमांे को बनाया गया है, जिनका पालन सभी को हर हाल में करना होता है। लेकिन जब उन्हीं व्यवस्थाओं और नियमों को ताक पर रखकर नजरंदाज किया जाए तो फिर कार्यवाही भी होनी आवश्यक बन जाती है।
ऐसे ही नियमांे को नजरंदाज करना उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव लडने की मंशा पाले कुछ नेताओं पर भारी पड़ने जा रही है। दरअसल भारत निर्वाचन आयोग ने अलग-अलग राजनैतिक दलों से जुड़े उत्तराखंड के 17 ऐसे नेताओं की लिस्ट जारी की है, जिन्होंने वर्ष 2017 के विधानसभा में हिस्सा लिया था, किन्तु अब आयोग ने इन्हें आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए प्रतिबन्ध किया है। इन नेताआंे पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2017 के विधानसभा में अपने चुनाव के खर्च का ब्यौरा नहीं दिया है। भारतीय निर्वाचन आयोग ने जिन नेताओं के नामों की सूची रिटर्निंग अधिकारियो को भेजी है उनमें पौड़ी से राजेंद्र सिंह भंडारी, देहरादून से मधुशाह, गौतम सिंह बिष्ट, विनोद प्रसाद नौटियाल, जयप्रकाश उपाध्याय, बागेश्वर से सुंदर धौनी, पिथौरागढ़ से राजेंद्र सिंह बिष्ट, सुहैल अहमद, विनोद शर्मा, विनय, लाल सिंह, जितेंद्र कुमार, दिनेश कुमार, भुवन जोशी व हरिद्वार से बच्ची सिंह और मौ. अशरफ, चम्पावत से राजेद्र सिंह के नाम शामिल है।
आयोग की नियमावली के अनुसार अब ये सभी प्रतिबन्ध नेता सात जनवरी 2023 तक चुनाव मंेे हिस्सा नहीं ले सकते। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने इन नामों की सूची तैयार कर रिटर्निग अधिकारियों को भी भेज दी है।