हरिद्वार। श्रीमद्भागवत कथा वह ज्ञान की गंगा है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर भक्ति के प्रवाह को बढ़ाती है। भगवान श्रीकृष्ण की प्रसन्नता का प्रधान है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद्भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। उक्त उद्गार बाल कथा व्यास पंडित ब्रह्मरात हरितोष महाराज ने मंशा देवी मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत भक्ति रस तथा अध्यात्म ज्ञान का भण्डार है। भागवत निगम कल्पतरू का स्वयं फल माना जाता है। जिसे नैष्ठिक ब्रह्मचारी व बह्मज्ञानी महर्षि शुकदेव ने अपनी मधुरवाणी से संयुक्त कर अमृतमय बना डाला। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं अपरम्पार हैं। जिन्हें देखने के लिए स्वयं भगवान शिव को भी गोपी रूप धारण करना पड़ा था। सभी ग्रंथों का सार श्रीमद्भागवत कथा में है। मां मंशा देवी ट्रस्ट के परमाध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत विद्या का अक्षय भण्डार है। जो सभी प्रकार के कल्याण देने वाला त्रय ताप आधिभौतिक, आधिदैविक और अध्यात्मिक आदि का शमन करता है। उन्होंने कहा कि मां मंशा देवी मंदिर के प्रांगण में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण सौभाग्यशाली व्यक्तियों को प्राप्त होता है। कथा के प्रसंगों को जीवन में धारण कर व्यक्ति को सदैव सत्य के मार्ग पर अग्रसर रहना चाहिए और मानव कल्याण व राष्ट्रहित में अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए। इस अवसर पर पंडित संतोष दीक्षित, नीलाभ मिश्र, पंडित महेश गिरी, पंडित पवन गिरी, पंडित अमर उपाध्याय, पंडित अमरनाथ मिश्रा, मुन्ना पंडित, पंडित द्वारिका मिश्रा, पंडित सीताराम शर्मा, पंडित रामभवन शर्मा, सचिन अग्रवाल, पंडित धीरज गिरी, चंद्रमोहन नोडियाल, मनोज डोभाल, सचिन अग्रवाल, सुनील बत्रा, अतुल शर्मा, अजय कुमार कुमार, रिंकू खुराना, अमित वालिया आदि उपस्थित रहे।