रिपोर्ट:- गणेश वैद
हरिद्वार। श्रमिकों के न्यूनतम वेतन वृद्धि एवं अन्य सुविधाओं को लेकर भारतीय मजदूर संघ की ओर से एक प्रेस वार्ता की गई। जिसमें मजदूरों के शोषण के लिए फैक्ट्री मैनेजमेंट व श्रम अधिकारियों की मिलीभगत को जिम्मेदार ठहराया गया।
शनिवार को प्रेस क्लब हरिद्वार में भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री सुमित सिंघल ने फैक्ट्रियों में काम कर रहे श्रमिको का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सलाहकार बोर्ड के परामर्श पर प्रदेश सरकार द्वारा मजदूरों,श्रमिको के लिए जो 25 प्रतिशत की न्यूनतम वेतन की घोषणा की गई थी,उसे 2 महीने बीत जाने के बाद भी कई उद्योगों द्वारा उसका पालन नहीं किया जा रहा है। जबकि अधिकांश औद्योगिक घराने इसके लिए सरकार से सब्सिडी तो ले रहे हैं,लेकिन अपने यहां काम करने वाले श्रमिकों को इसका लाभ नहीं दे रहे हैं। इतना ही नहीं ट्रेनिंग के नाम पर उद्योगों में काम कर रहे ट्रेनी श्रमिको से मशीनों पर पूरा पूरा काम लिया जा रहा है,जिसके चलते दुर्घटना की स्थिति में यही उधोग श्रमिको को नियमों की आड़ लेकर मुआवजा तक नहीं देते।
उन्होंने पत्रकारों के समक्ष श्रमिकों के साथ हो रहे अन्याय की बात रखते हुए कहा कि आज श्रमिको की सुनवाई श्रम कार्यालय में तैनात अधिकारियों द्वारा नहीं की जाती बल्कि फैक्ट्री मैनेजमेंट के साथ मिलकर श्रम अधिकारी श्रमिकों का जमकर उत्पीड़न कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने उद्योगपतियों से श्रम अधिकारियों की मिलीभगत बताया।
उन्होंने कहा कि ईएसआईसी और पीएफ के लाभ से भी श्रमिको को वंचित रखा जा रहा है जिससे उनके इलाज और पेंशन की व्यवस्था भी नहीं हो पाती है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जो उद्योग न्यूनतम वेतन नहीं दे रहे हैं ऐसे उद्योगों को चिन्हित कर उन पर सख्त कार्रवाई की जाए और ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर भी कार्यवाही की जाये जो प्रबंधन के साथ मिलकर श्रमिकों का उत्पीड़न करते है
प्रेसवार्ता के दौरान ललित पुरोहित जिला मंत्रीं बीएमएस, राजवीर सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष बीएमएस, नरेश रावत सदस्य न्यूनतम मजदूरी सलाहकार बोर्ड, जितेंद्र सिंह, पवन शर्मा, राजवीर सिंह, राजेन्द्र प्रसाद, पीयूष अग्रवाल आदि कई सदस्य एवं पदाधिकारी मौजूद रहे।