अलग प्रदेश बनने के बाद जब उत्तराखंड को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की ओर से मान्यता मिली,तो पूरे प्रदेश में खुशी की लहर दौड़ गई थी। तब शायद ये किसी ने नहीं सोचा था कि आगे चलकर उत्तराखंड क्रिकेट विवादों में घिरेगा और जिनके हाथों में (सीएयू) प्रदेश के क्रिकेट थामने की जिम्मेदारी होगी,उस पर खिलाडि़यों से भेदभाव सहित वित्तीय, प्रबंधन और प्रशासकीय गड़बडि़यों जैसे गंभीर आरोप लगेंगे।
वर्ष 2022 की 9 जून को एक खबर आयी कि क्रिकेट की दुनिया में नया इतिहास रचा जा चुका था। जिसमे फर्स्ट क्लास क्रिकेट के इतिहास में मुंबई की टीम ने उत्तराखंड के खिलाफ 725 रनों के अंतर से सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज की। इसके आधे घंटे के भीतर एक वेबसाइट पर उत्तराखंड के क्रिकेटरों के बारे में एक सनसनीखेज खबर छपी कि उनके खिलाडि़यों को 100 रुपये का दैनिक भत्ता मिल रहा था। इसके साथ ही ये भी बताया गया कि कागजों पर क्रिकेट एसोशियशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) ने 1 करोड़ 74 लाख 7 हजार 346 रुपये खाने-पीने पर खर्घ्च किये जिसमें 35 लाख केले खघ्रीदने और 22 लाख रुपये पानी की बोतलों पर इसके अलावा 49 लाख 58 हजार 750 रुपये दैनिक भत्ते पर। जिसे तत्कालीन सीएयू के प्रवक्ता संजय गुसाईं ने नकारते हुए कहा कि ऐसी खबरें भ्रामक हैं और एसोसिएशन ऐसे खबरें फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने जा रही है।
हालांकि सीएयू के प्रवक्ता के पद से हटने के बाद संजय गुसाईं ने खिलाडि़यों से भेदभाव को लेकर सीएयू पर गंभीर आरोप लगाए। उनका आरोप है कि सीएयू के पदाधिकारी बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाडि़यों को नजरंदाज कर अंडर परफार्मर खिलाडि़यों को टीम में जगह दे रहे हैं। इन्हीं आरोपों को लेकर वह कोर्ट भी गए जहां मामला अभी विचाराधीन है। संजय गुसाईं का कहना है कि वह देहरादून निवासी है इसलिए उन्हें देहरादून इकाई की जानकारी है अन्य जिलों में क्या गड़बडि़या है इसकी जानकारी नहीं। अलबत्ता पूरे प्रदेश में जितनी भी जिला इकाइयां है (देहरादून से लेकर हरिद्वार तक) सबकी जांच होनी चाहिए।
दूसरी ओर देहरादून निवासी विकेश नेगी ने भी सीएयू पर गंभीर आरोप लगाते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की। जिसमे बताया गया कि टीम में चयन के लिए खिलाडियों से पैसे लिए जा रहे हैं। साथ ही खिलाडि़यों के खाने-पीने से लेकर पानी के बिलों में लाखों रुपये की हेराफेरी की गई। जिस पर कोर्ट (मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ) ने खेल सचिव उत्तराखंड को 17 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने के आदेश दिए थे।
भले ही मामला अभी शांत हो लेकिन जो आरोप सीएयू पर लगे उनकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए,वरना उत्तराखंड में क्रिकेट का भविष्य बनने से पहले ही बिगड़ जाएगा साथ ही प्रतिभावान खिलाडि़यों के साथ अन्याय होता रहेगा। इसके अलावा सीएयू से सम्बद्ध सभी जिला क्रिकेट इकाइयों पर भी पैनी नजर रखनी होगी क्योंकि प्रदेश की टीम बनाने के लिए डिस्ट्रिक्ट लीग ही बड़ा माध्यम है जहा से खिलाडि़यों का चयन होता है। इसमें पारदर्शिता होनी आवश्यक है। अब देखना ये होगा कि जो आरोप सीएयू पर लगे है उनमें कितनी सच्चाई है और वह इन आरोपों से कैसे बाहर आती है। हालांकि उत्तराखंड क्रिकेट के सुनहरे दिनों के साथ ही बेहतर खिलाड़ी भी तभी सामने आयेंगे जब प्रदेश क्रिकेट में पारदर्शिता आयेगी और एसोशियशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) अपना दायित्व पूरी ईमानदारी व निष्पक्षता से निभाएगी।
गणेश वैद