हरिद्वार। जूना अखाड़े की प्राचीन छड़ी यात्रा रविवार सबेरे जोशीमठ से छड़ी के प्रमुख महंत श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज के नेतृत्व में भविष्य बद्री के दर्शनों के लिए रवाना हुयी।
पौराणिक तीर्थ भविष्य बद्री का रास्ता अत्यंत दुर्गम है। धौली गंगा के किनारे विकट छह किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार करके यहां पहुंचा जा सकता है। इस कठिन चढ़ाई को पार करके कोरोबारी महंत महादेवानंद गिरि, महंत परमानंद गिरि, महंत पारस पुरी तथा विद्यानंद पुरी पवित्र छड़ी लेकर भविष्य बद्री मन्दिर पहुंचे, विद्वान ब्राहणों ने छड़ी की पूजा अर्चना की तथा भविष्य बद्री के दर्शन कराए। श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि कलयुग के प्रारम्भ में जोशीमठ स्थित नृसिंह भगवान की मूर्ति का हाथ गिर जाएगा। तथा विष्णु प्रयाग के पास पतमिला में जय और विजय पहाड़ गिर जायेंगे, जिस कारण बद्रीनाथ धाम जाने का मार्ग अवरूद्व हो जायेगा। तब बद्रीनाथ भगवान भविष्य बद्री में बिराजमान होंगे। और यहां पर उनकी पूजा अर्चना होगी। उन्होंने बताया भविष्य बद्री धाम मंे एक शिला पर धीरे-धीरे भगवान के स्वरूप की आकृति उभर रही है। देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित इस शिला पर बद्रीश पंचायत के देवतओं की आकृति भी उभर रही है। उन्होंने कहा भविष्य मंे भविष्य बद्री ही भगवान बद्रीनाथ के धाम के रूप में पूजा जायेगा। भविष्य बद्री के दर्शनों के पश्चात प्राचीन पवित्र छड़ी साधुओं की जमात के साथ छड़ी महंत पुष्करराज गिरि, विशम्भर भारती, श्रीमहंत शिवदत्त गिरि, महंत रूद्रानंद सरस्वती, महंत अजय पुरी, महंत भगत गिरि, महंत शातांनद गिरि, महंत गुप्तगिरि, महंत कमल भारती, महंत केदार भारती आदि के नेतृत्व में रात्रि विश्राम के लिए बद्रीनाथ धाम पहंुची।