हरिद्वार। जूना अखाड़े द्वारा संचालित पवित्र छडी यात्रा गढ़वाल मण्डल के चारों धाम तथा अन्य पौराणिक तीर्थस्थलों के भ्रमण के पश्चात कुमायूॅ मण्डल के भी करीब सभी पौराणिक तीर्थस्थलों का भ्रमण कर अपने अन्तिम पड़ाव पर पहुंच गयी है। छड़ी यात्रा के प्रमुख श्रीमहंत प्रेम गिरी, छड़ी महंत शिवदत्त गिरी, श्रीमहंत शैलेन्द्र गिरी आदि जत्थे के साथ धारचूला के श्री नारायण आश्रम छड़ी लेकर शनिवार को पहुंचे, जहां काली गंगा और धौली गंगा में छड़ी स्नान व पूजन के बाद वापस धारचूला आये। शुक्रवार को चौकोड़ी से श्रीमहंत प्रेमगिरी महाराज, श्रीमहंत वीरेन्दानंद के साथ छड़ी लेकर पाताल भुवनेश्वर के दर्शन हेतु गए थे। जहां छड़ी पूजन के बाद साधुओं का जत्था घाट काली मन्दिर पहुंचा, जहां नागा बाबा सोमवार गिरी ने छड़ी पूजन किया। शानिवार को पवित्र छड़ी बागेश्वर स्थित नीलेश्वर महादेव तथा स्वर्गाश्रम स्थित ब्रहमा मन्दिर से ले जायी गयी।
शनिवार को वार्ता के दौरान जूना अखाड़े के श्रीमहंत हरि गिरी ने बताया कि लगभग 70वर्ष पूर्व यह छड़ी यात्रा किन्ही कारणों से रूक गयी थी, लेकिन अथक प्रयासों और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की पहल पर यह पुनः हरिद्वार से प्रारम्भ की गयी है। पहले यह पवित्र छड़ी यात्रा बागेश्वर से चलती थी, लेकिन 2021 के कुम्भ पर्व को देखते हुए अब इसे हरिद्वार के मायादेवी मन्दिर से चलाए जाने का निर्णय अखाड़े द्वारा लिया गया है।
उन्होंने बताया कि यह पवित्र छड़ी यात्रा अब अपने अन्तिम चरण में हैं। बागेश्वर में दो दिन के विश्राम के पश्चात छड़ी यात्रा 3 नवम्बर को बागेश्वर से रवाना होगी और बिनसर महादेव हेड़ाखान, इूना गिरि, भूमिया थान मासी, बूढा केदार, गजिया देवी मन्दिर होते हुए 5 नवम्बर को हरिद्वार पहुंचेगी। उन्हांेने कहा छड़ी यात्रा में लगभग 70 साधु-संतांे का जत्था चल रहा है। इस यात्रा को सरकार ने राजकीय यात्रा घोषित किया है। जत्थे का नेतृत्व श्रीमहंत शैलेन्द्रागिरी, श्रीमहंत धीरज गिरी, श्रीमहंत शिवदत्त गिरी, श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, श्रीमहंत पुष्करराज गिरी के अतिरिक्त गोपाल रावत, संदीप, प्रदीप सहजानंद, विमल गिरी, पशुपति गिरी, तुफान गिरी आदि लोग कर रहे हैं।