देहरादून/संवाददाता
उत्तराखंड के सरकारी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के लिए अब 35 लाख किताबें एक क्लिक पर उपलब्ध होंगी। राज्य के पांच विश्वविद्यालयों और 104 कॉलेजों को इसका सीधा फ़ायदा मिल सकेगा। आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की लाइब्रेरी के लिए ई-ग्रंथालय को लॉंच किया। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को इस पोर्टल से जोड़ा जा रहा है। इसके माध्यम से कॉलेज छात्र-छात्राएं और शिक्षक वह पुस्तकें भी पढ़ पाएंगे जो उनकी लाइब्रेरी में उपलब्ध नहीं हैं और ई-ग्रंथालय में हैं। माना जा रहा है कि ढाई लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को इससे फ़ायदा होगा।
ऐसे करेगा काम
डिजिटल इंडिया और डिजिटल एजुकेशन की दिशा में ई-ग्रंथालय बड़ा कदम माना जा सकता है। मुख्यमंत्री के तकनीकी सलाहकार रविंद्र दत्त पेटवाल के अनुसार ई-ग्रंथालय के तहत सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेज की लायब्रेरी इस डिजिटल लायब्रेरी का इस्तेमाल करने के अधिकार दिए गए हैं। स्थानीय स्तर पर लायब्रेरी विद्यार्थियों को लॉगिन करने के अधिकार देंगी। इसे आप रोल नंबर की तरह मान सकते हैं। अपनी-अपनी लॉगिन आईडी से छात्र-छात्राएं ई-ग्रंथालय से अपनी ज़रूरत और पसंद की किताबें पढ़ सकेंगे, वह भी अपनी सुविधा से अपने समय और स्थान पर।
पेटवाल बताते हैं कि डिजिटल लायब्रेरी से सबसे बड़ा फ़ायदा यह होगा कि लाखों छात्र-छात्राएं या शिक्षक एक ही समय में एक किताब पढ़ पाएंगे। पारंपरिक लायब्रेरी की तरह इश्यू करवाई गई किताब के लौटाए जाने का इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं रह जाएगी। लेकिन दूरदराज के इलाक़ों में इंटरनेट कनेक्टिविटि की दिक्कत क्या ई-ग्रंथालय तक पहुंच को सीमित नहीं कर देगी? इस सवाल के जवाब में पेटवाल कहते हैं कि अभी तो किताबें ऑनलाइन ही उपलब्ध करवाई जा रही हैं लेकिन जल्द ही ई-बुक्स भी इसमें शामिल की जाएंगी जिन्हें डाउनलोड किया जा सकेगा और छात्र-छात्राएं उन्हें ऑफ़लाइन भी पढ़ सकेंगे।
प्रतियोगी परीक्षाओं के क्वेश्चन बैंक भी मिलें
ई-ग्रंथालय का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ई-ग्रंथालय के माध्यम से प्रतियोगी परीक्षाओं का पिछले 10 वर्षों का क्वेश्चन बैंक भी उपलब्ध कराया जाए ताकि छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अच्छा आधार मिल सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि, बागवानी और अन्य क्षेत्रों की बच्चों को अच्छी जानकारी प्राप्त हो सके, इसके लिए डॉक्यूमेंटरी बनाई जाएं। मैदानी जनपदों में लोगों को कृषि एवं बागवानी की अच्छी जानकारी होती है, लेकिन पर्वतीय जनपदों में हमें इस दिशा में विशेष ध्यान देना होगा. ई-ग्रंथालय के शुभारम्भ से विद्यार्थियों को समग्र जानकारियां उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि इस दिशा में और क्या प्रयास हो सकते हैं, इस दिशा में विचार करने की जरूरत है।
हर कॉलेज ई-ग्रन्थालय से जुड़ा
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है, जहां प्रत्येक कॉलेज को ई-ग्रंथालय से जोड़ा गया है। लॉकडाउन के दौरान विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों द्वारा ऑनलाइन शिक्षण का कार्य किया गया। इसके काफी सकारात्मक परिणाम रहे। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि यूजीसी की रैंकिंग के अनुसार उत्तराखण्ड के चार संस्थानों ने टॉप 100 में स्थान पाया है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि गुणात्मक सुधार के लिए सभी महाविद्यालयों में प्राचार्य के पद भरे गए हैं। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में 92 प्रतिशत फैकल्टी है। प्रदेश में 877 असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती निकाली गई, जिसमें से 527 असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन कर चुके हैं, शेष पदों पर भर्ती प्रक्रिया गतिमान है।