हरिद्वार। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सप्तसरोवर मार्ग रानी गली स्थित अखंड परम धाम आश्रम में विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में शामिल होने हरिद्वार पहुंचे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड में शामिल किए गए 51 मंदिरों को बोर्ड से मुक्त कर दिया जाएगा और देवस्थानम बोर्ड के बारे में भी पुनर्विचार किया जाएगा। इस बारे में उनकी सरकार गंभीरता से विचार करेगी और जल्दी ही चार धामों के तीर्थ पुरोहितों की बैठक बुलाई जाएगी। उन्होंने कहाकि किसी के भी अधिकार को छीनने नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि चार धामों को लेकर शंकराचार्यों द्वारा प्राचीन काल से जो व्यवस्था की गई है उसका पूरी तरह पालन किया जाएगा, उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में जो भी उनके हाथ में होगा वो करेंगे। संतों को निराश नहीं होने दिया जाएगा। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो सबसे पहले उनके एजेंडे में हरिद्वार का महाकुंभ और देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा था। उन्होंने शपथ लेते ही अगले दिन हरिद्वार में आकर कुंभ के पहले शाही स्नान में संतों का आशीर्वाद लिया और कुंभ में स्नान के लिए सभी लोगों को आमंत्रण दिया, जिसके कारण 35 लाख से ज्यादा लोग पहले शाही स्नान पर्व पर क्षेत्र में आए। री रावत ने कहा कि उन्होंने आते ही सभी अखाड़ों और संतों के लिए कुंभ में भूमि देने के आदेश दिए और कोरोना से ठीक होने के बाद वो गंगा सभा द्वारा हरकी पैड़ी पर आयोजित गंगा पूजन में भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कुंभ को सकुशल व दिव्य बनाने के लिए अधिकारियों को जरूरी आदेश दिए हैं। कुंभ के कामों में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में अगले महाकुंभ के लिए अभी से अखाड़ों को जमीन चिन्हित कर आवंटित कर दी जाएगी, ताकि भविष्य में कोई दिक्कत न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा स्नान करने में रोकटोक नहीं की जाएगी। उन्होंने साधु संत और श्रद्धालुओं से अपील की कि वह कोविड-19 को देखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करें। मास्क लगाए और सैनिटाइजर का प्रयोग करें। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि कुंभ नगरी में शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक आदेश दिए हैं।